दिल्ली के स्कूलों में भी घुस चुके हैं अवैध बांग्लादेशी..! लेकिन इतनी सुविधाएं दी किसने?

नई दिल्ली: दिल्ली में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा फिर चर्चा का केंद्र बन गया है। इस संदर्भ में दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने सख्त रुख अपनाते हुए अवैध बांग्लादेशी छात्रों की पहचान और कार्रवाई के लिए स्कूलों को नोटिस जारी किया है। एमसीडी के शिक्षा विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों द्वारा किए गए अतिक्रमण को तुरंत हटाया जाए। यह आदेश सभी क्षेत्रों के लिए लागू किया गया है।

इसके अलावा, जन स्वास्थ्य विभाग को भी निर्देश दिया गया है कि अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को जन्म प्रमाण पत्र जारी न किया जाए और 31 दिसंबर 2024 तक इस संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। एमसीडी के डिप्टी कमिश्नर (मुख्यालय) बीपी भारद्वाज ने शिक्षा विभाग को आदेश दिया है कि वे स्कूलों में अवैध बांग्लादेशी छात्रों की पहचान करें और उनके दाखिले पर रोक लगाने के लिए जरूरी कदम उठाएं। पहले से नामांकित अवैध छात्रों की पहचान और सत्यापन के लिए विशेष अभियान चलाने के भी निर्देश दिए गए हैं। बैठक में एमसीडी के विभिन्न विभागाध्यक्षों और क्षेत्रीय अधिकारियों को निवारक उपाय अपनाने को कहा गया है। 

जन स्वास्थ्य विभाग को यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि जन्म पंजीकरण और प्रमाण पत्र जारी करने में सावधानी बरती जाए। साथ ही, यह भी जांचा जाए कि पहले से अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को जन्म प्रमाण पत्र तो जारी नहीं कर दिए गए हैं। इसके लिए पहचान और सत्यापन अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है। ऐसे में प्रमुख सवाल यह उठ रहा है कि आखिर इन अवैध बांग्लादेशियों ने दिल्ली के स्कूलों में दाखिला कैसे लिया? क्या स्कूल प्रबंधन ने इन बच्चों के माता-पिता के दस्तावेजों की जांच नहीं की थी, या फिर राजनीतिक दबाव के कारण इन पर मेहरबानी दिखाई गई? 

दरअसल, दिल्ली में बड़ी संख्या में अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या रहते हैं। कई बार यह आरोप भी लगाए गए हैं कि आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार इन अवैध घुसपैठियों को तमाम सुविधाएं मुहैया करवा रही है। चुनावों के समय यही अवैध प्रवासी वोटर बनकर मतदान को प्रभावित करते हैं। ऐसे में यह जांच करना बेहद जरूरी हो जाता है कि ये अवैध बांग्लादेशी देश की राजधानी दिल्ली के स्कूलों तक कैसे पहुंच गए? जबकि, दूसरी ओर पाकिस्तान और बांग्लादेश में इस्लामी उत्पीड़न के शिकार होकर भागे हिंदू और ईसाई समुदाय के बच्चों को स्कूलों में दाखिला लेने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। कई मामलों में ये बच्चे वर्षों तक शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। फिर इन अवैध बांग्लादेशियों को इतनी आसानी से सुविधाएं कैसे मिल गईं?

यह मुद्दा केवल शिक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि देश की सुरक्षा और सामाजिक संतुलन से भी जुड़ा है। यह जरूरी है कि इन घुसपैठियों की पहचान और निष्कासन के लिए गहन जांच की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। एमसीडी की इस पहल को दिल्ली के नागरिकों और देश की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा सकता है, लेकिन इसे पूरी सख्ती के साथ लागू करने की जरूरत है।

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