महंगाई, और तेजी से बढ़ती ब्याज दरें, बढ़ती फूड और एनर्जी प्राइस, साथ ही जलवायु परिवर्तन, धीमा विकास और मंदी, ये सभी आज कई देशों के लिए समस्याएं भी बढ़ा रहे है. बढ़ते जा रहे मूल्य के कारण से ग्लोबल सेंट्रल बैंकों ने अपनी मॉनेटरी पॉलिसी को बहुत सख्त कर दिया है. हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की प्रबंध निदेशक (MD) क्रिस्टालिना जॉर्जीवा का इस बारें में कहना है कि कई देशों में ग्लोबल इंफ्लेशन का असर कम देखने के लिए ही मिलता है. उसके बाद भी जॉर्जीवा का कहना है कि ग्लोबल इकोनॉमी अभी भी बहुत दबाव में है. जॉर्जीवा ने बोला है ने बोला है कि ग्लोबल इकोनॉमी अभी भी बहुत कठिन स्थिति में है. 2023 में ग्लोबल ग्रोथ धीमा होने लगा है लेकिन यह एक महत्वपूर्ण मोड़ भी हो सकता है. IMF चीफ ने इस बारें में बोला है कि झटकों को बेहतर ढंग से झेलने के लिए, अधिकारियों को सभी लेवल पर फ्लेक्सिबिलिटी को बढ़ावा देने पर अधिक ध्यान देना चाहिए. आईएमएफ ने की थी कई भविष्यवाणी: 2022 में 8.8 फीसदी की वृद्धि के उपरांत, IMF ने जनवरी में भविष्यवाणी की थी कि ग्लोबल कंज्यूमर प्राइस हाइक 2023 में घटकर 6.6 प्रतिशत है, जो अक्टूबर के पूर्वानुमान से 0.1 फीसदी अधिक है. 2024 में, इसने 4.3 फीसदी तक और मंदी की भविष्यवाणी की. लगभग 84 प्रतिशत देशों में, 2022 की तुलना में 2023 में महंगाई की दर कम होने का अनुमान है. IMF ने एक साल में पहली बार उसी रिपोर्ट में ग्लोबल इकोनॉमिक ग्रोथ के अपने पूर्वानुमान में बढ़ोतरी हो जाती है. जॉर्जीवा ने 14 फरवरी को कहा कि कई देशों में महंगाई अंतत: कम हो रही है. 2023 में अनुमानित 2.9 फीसदी ग्लोबल GDP की वृद्धि अक्टूबर में भविष्यवाणी की तुलना में 0.2 प्रतिशत अधिक है. इस फैक्ट के बावजूद कि यह 2022 में 3.4 प्रतिशत की तुलना में कम है. चक्रवात के बाद न्यूजीलैंड में बाढ़ ने मचाया आतंक सामने आया कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक वायरस, WHO ने जारी की चेतावनी आज ही के दिन हुई थी अमेरिका में सेंट लुईस शहर की स्थापना, जानिए 15 फ़रवरी का इतिहास