भोपाल: ISRO ने इतिहास रच दिया है। चंद्रयान-3 चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंड कर चुका है, जो भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। भारत चंद्रमा की दक्षिणी सतह पर आसानी से अंतरिक्ष यान उतारने वाला पहला देश बन गया है। 140 करोड़ लोगों की प्रार्थना और ISRO के साढ़े 16 हजार वैज्ञानिकों की 4 साल की कड़ी मेहनत और लगन आखिर रंग ले ही लाई और अब पूरी दुनिया ही नहीं चांद भी भारत की मुठ्ठी में है। वही भारतीय वैज्ञानिक के इस अजूबे और भारत की इस बड़ी कामयाबी में मध्य प्रदेश के 4 हीरो का भी महत्वपूर्ण योगदान है. अलग-अलग जिलों से चारों वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष कार्यक्रम 'मून मिशन' में महत्वपूर्ण रोल अदा करते हुए मध्य प्रदेश एवं देश को गौरवांवित किया है. साइंटिस्ट महेंद्र ठाकरे: बालाघाट जिले के रहने वाले वैज्ञानिक महेंद्र ठाकरे चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट मैनेजर हैं. उन्होंने चंद्रयान-1 एवं मंगलयान समेत कई अंतरिक्ष मिशनों पर काम किया है. 44 वर्षीय महेंद्र 30 वर्षों से अधिक वक़्त से अंतरिक्ष क्षेत्र में काम कर रहे हैं. नक्सल प्रभावित बालाघाट जिले के कैंडाटोला गांव के रहने वाले वैज्ञानिक महेंद्र ने पहले एक सरकारी विद्यालय में अपनी पढ़ाई पूरी की. तत्पश्चात, IIT दिल्ली में दाखिला लिया तथा वहां से ISRO तक पहुंचे. वे बीते 16 वर्षों से बतौर वैज्ञानिक ISRO में काम कर रहे हैं. वैज्ञानकि प्रियांशु मिश्रा:- उमरिया जिले के रहने वाले युवा वैज्ञानकि प्रियांशु मिश्रा ने चंद्रयान 3 के प्रक्षेपण के लिए बनाए गए लांच व्हीकल एलव्हीएम 3 के अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. प्रियांशु 2009 से ISRO में बतौर वैज्ञानिक काम कर रहे हैं. उन्होंने अपनी स्कूलिंग भोपाल की है. तत्पश्चात, देहरादून से इंजीनियरिंग तथा रांची से M.Tech कर ISRO तक का सफर तय किया. वैज्ञानिक ओम पांडे:- सतना जिले से युवा वैज्ञानिक युवा वैज्ञानिक ओम पांडे ने भी चंद्रयान-3 मिशन में अहम किरदार निभाया है. ओम पांडे चंद्रयान की अंतरिक्ष की कक्षा और प्रक्षेपवक्र की निगरानी वाली टीम का हिस्सा हैं. इसके अतिरिक्त वे चंद्रमा पर लैंडर उतारने की प्रक्रिया में भी सम्मिलित हैं. उन्होंने 2018 में ISRO ज्वाइन किया था. वैज्ञानिक तरुण सिंह:- रीवा जिले के रहने वाले वैज्ञानिक तरुण सिंह ने 15 वर्ष पूर्व ISRO ज्वाइन किया था. ISRO के वरिष्ठ वैज्ञानिकों में सम्मिल्लित तरुण सिंह ने सैनिक स्कूल से अपनी 12वीं तक की अपनी पढ़ाई की है. तत्पश्चात, उन्होंने इंदौर SGSITS से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. इंजीनियरिंग करने के पश्चात् तरुण सिंह ISRO से जुड़ गए. 'हम तो पहले से ही चाँद पर हैं..', चंद्रयान-3 की सफलता पर पाकिस्तानी नागरिक की टिप्पणी, हंसा-हंसा के लोटपोट कर देगी, Video 'संविधान का अनुच्छेद 1 स्पष्ट कहता है कि 370 स्थायी नहीं..', सुप्रीम कोर्ट की दो टूक 'चांद पर लहराया तिरंगा, खुशी में झूमे शाहरुख!' शेयर की ये स्पेशल पोस्ट