इस्लामाबाद: पाकिस्तान के आम चुनावों में बड़ी जीत दर्ज करने के बाद पाकिस्तान तहरीक-ए-इन्साफ पार्टी के अध्यक्ष इमरान खान ने 18 अगस्त शनिवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की. शपथग्रहण के बाद दिए गए अपने पहले भाषण में इमरान ने कहा कि वे पाकिस्तान से आतंकवाद को ख़त्म करने के लिए प्रतिज्ञाबद्ध हैं. लेकिन पाकिस्तान के हालात और इमरान खान के कैबिनेट को देखते हुए ये लग नहीं रहा है कि इमरान आतंकवाद या आतंकवादियों के खिलाफ कोई कदम उठाएंगे या उठा पाएंगे. मंत्री होते हुए साइकिल चलाकर बच्चे को जन्म देने अस्पताल पहुंची महिला दरअसल, शनिवार को शपथ लेने के बाद रविवार को इमरान ने अपने 21 सदस्यीय कैबिनेट का ऐलान कर दिया है, जिसमे 3 महिलाऐं भी हैं. इस कैबिनेट में दिलचस्प बात ये है कि इसमें 12 सदस्य वही हैं, जो पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जनरल परवेज़ मुशर्रफ के समय भी कैबिनेट में थे. इन्ही में से एक शाह महमूद कुरैशी भी हैं, जो की विदेश मंत्री बनाए गए हैं, 2008 में मुंबई आतंकी हमले के समय भी कुरैशी ही विदेश मंत्री थे और हमले के दौरान देश की राजधानी दिल्ली में थे और आज ही कुरैशी द्वारा दिए गए बयान में उन्होंने फिर कश्मीर का राग अलापा है, इससे ये तो साफ है कि कश्मीर को लेकर पाकिस्तानियों की नीति नहीं बदलेगी. मुशर्रफ के ही कार्यकाल में भारत-पाक के बीच बहुचर्चित और विनाशक कारगिल युद्ध हुआ था और वर्तमान हालात भी उसी और इशारा कर रहे हैं. शपथ लेते ही इमरान के मंत्री ने अलापा 'कश्मीर' राग इन तथ्यों को देखकर तो यही लगता है कि इमरान खान भी मुशर्रफ के ही नक़्शे कदम पर चलना चाह रहे है और अगर वे न भी चलें तो पाकिस्तानी सेना उन्हें एक प्यादे की तरह चला सकने में समर्थ है. इसके संकेत भी पाकिस्तानी विदेश मामलों के जानकार कमर आगा ने दे दिए हैं, उन्होंने कहा है कि जब तक इमरान सेना के इशारे पर काम करते रहेंगे तब तक सत्ता में बने रहेंगे, अन्‍यथा हटा दिए जाएंगे. पाकिस्तान के इस राजनितिक बदलाव का भारत पर गहरा असर पड़ने की सम्भावना जताई जा रही है, बताया जा रहा है कि जम्मू कश्मीर में आतंकी हमले तेज़ हो सकते हैं. खबरें और भी:- इमरान खान का दावा ख़त्म करेंगे आतंकवाद का साया टीवी देखने की वजह से मार डाला रिश्तेदार को, बोला यह इस्लाम के खिलाफ है ट्रंप की 9.2 करोड़ डॉलर की सैन्य परेड को नहीं मिली रक्षा मंत्री की मंजूरी