सुना था कि बेहद सुनहरी है दिल्ली, समंदर सी ख़ामोश गहरी है दिल्ली मगर एक मॉं की सदा सुन ना पाये, तो लगता है गूँगी है बहरी है दिल्ली वो ऑंखों में अश्कों का दरिया समेटे, वो उम्मीद का इक नज़रिया समेटे यहॉं कह रही है वहॉं कह रही है, तडप करके ये एक मॉं कह रही है कोई पूँछता ही नहीं हाल मेरा…..! कोई ला के दे दे मुझे लाल मेरा उसे ले के वापस चली जाऊँगी मैं, पलट कर कभी फिर नहीं आऊँगी मैं बुढापे का मेरे सहारा वही है, वो बिछडा तो ज़िन्दा ही मर जाऊँगी मैं वो छ: दिन से है लापता ले के आये, कोई जा के उसका पता ले के आये वही है मेरी ज़िन्दगी का कमाई, वही तो है सदियों का आमाल मेरा कोई ला के दे दे मुझे लाल मेरा! ये चैनल के एंकर कहॉं मर गये हैं, ये गॉंधी के बंदर कहॉं मर गये हैं मेरी चीख़ और मेरी फ़रियाद कहना, ये मोदी से इक मॉं की रूदाद कहना कहीं झूठ की शख़्सियत बह ना जाये, ये नफ़रत की दीवार छत बह ना जाये है इक मॉं के अश्कों का सैलाब साहब, कहीं आपकी सल्तनत बह ना जाये उजड सा गया है गुलिस्तॉं वतन का नहीं तो था भारत से ख़ुशहाल मेरा कोई ला के दे दे मुझे लाल मेरा. चीन में मिला दुनिया का सबसे बड़ा मच्छर पिता की अंतिम इच्छा पर जब युवक बना अरबपति न डॉलर और न पाउंड ये है दुनिया की सबसे महंगी मुद्रा