इम्तियाज अली, हिंदी सिनेमा के जाने माने फिल्मकार जिसने दशकों पहले ही अपनी फिल्मों में महिला सशक्तिकरण की असल तस्वीर पेश की। वही 'जब वी मेट' से लेकर 'लव आज कल' जैसी फिल्मों के जरिए इम्तियाज ने मोहब्बत को फिल्माने के नजरिए में परिवर्तन लाया। इसके अलावा अक्सर फिल्में लोगों को रोमांस करने का तरीका सीखाती हैं। परन्तु इम्तियाज ने अपनी फिल्मों से लोगों का ज्ञान नहीं दिया बल्कि समाज में पनपने वाले प्यार के बीज को अपने किरदारों में पिरोया। करीना कपूर (जब वी मेट) इस फिल्म का एक ट्रेन सीन है जिसमें गीत (करीना कपूर) भागते हुए ट्रेन में चढ़ती हैं। वही यह सीन ही इस फिल्म में करीना के किरदार के अनोखेपन को बयां करने के लिए काफी है।इसके साथ ही कदम-कदम पर दुनिया के नियम कानून को चुनौती देती वह एक तेज-तर्रार और बेबाक लड़की है। समाजिक ताने-बाने में मुश्किल से ही फीट बैठती है, जानती है कि लड़की होने के नफा-नुकसान क्या हैं। वही खुद की जिंदगी में तमाम दिक्कतें हैं, बावजूद इसके मजे से दूजों की जिंदगी में रुचि लेती है। वही दूसरों से धोखे भी खाती है, टूट जाती है लेकिन स्वाभिमान टस से मस नहीं होता है।इसके साथ ही साल 2005 में करीना द्वारा निभाया यह किरदार आज भी नए कलाकारों और दर्शकों के लिए एक आदर्श है। वही निर्देशन और अभिनय के अलावा इस फिल्म में नायिका की ऐसी शख्सियत गढ़ना और लोगों द्वारा इसे सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलना हिंदी सिनेमा के बदलते स्वरूप के लिए बहुत ही जरूरी था। दीपिका पादुकोण (लव आज कल,कॉकटेल, तमाशा,) इम्तियाज के साथ सबसे अधिक दफा किसी अभिनेत्री ने काम किया है तो वह दीपिका पादुकोण हैं। इम्तियाज खुद जाहिर कर चुके हैं कि जब दीपिका ने फिल्मों में काम करना शुरू भी नहीं किया था तब से वह उनके साथ काम करने की इच्छा रखते थे। इसके साथ ही इम्तियाज की फिल्मों में दीपिका का स्वरूप पर्दे पर निभाने और फिल्माने, दोनों ही लिहाज से चुनौतीपूर्ण था। वही 'लव आज कल' की मीरा पंडित, 'कॉकटेल' की वेरोनिका और 'तमाशा' की तारा सिंह के जरिए इम्तियाज ने यह साफ कर दिया था कि उनसे जुड़ी प्रत्येक फिल्म में उनकी महिलाएं अपनी शर्त पर जिंदगी जीने वाली महिला के तौर पर नजर आएंगी। वही उन्हें किसी जोर-जबरदस्ती से नहीं बल्कि सिर्फ प्यार से ही जीता जा सकता है।इसके साथ ही इम्तियाज की फिल्मों में दीपिका ने जी भर के प्यार किया। इस दौरान वह कभी टूटती तो कभी संभलती हुईं नजर आईं। इसके साथ ही जरूरत पड़ने पर वह नायकों को प्रोत्साहित करती हुईं भी नजर आईं। इन किरदारों की खूबसूरती यह भी रही कि इन्हें उन्हीं ख्यालातों की महिलाओं के नजरिए से पिरोया गया था। आलिया भट्ट (हाईवे) जरूरी नहीं है कि शहर की आबो-हवा लड़कियों को सुरक्षित रखे। इसके अलावा जरूरी नहीं है कि आधुनिक दुनिया में पली-बढ़ी लड़की आत्मविश्वास से भरी हो।वही 'हाईवे' में आलिया भट्ट का वीरा का किरदार इन्हीं तथ्यों को उजागर करता है। वही अपहरण और वापसी के बाद वापस आई वीरा यह साबित करती है कि कई मजबूत और सही फैसले लेने के लिए घर से अधिक यह दुनिया मदद करती है। इसके अलावा वह लड़कियों को इतना मजबूत बना देती है कि वह अपनो की शक्ल में छिपे दंरिदों से मुकाबला कर पाती है। इसके साथ ही साथ ही प्रत्येक लड़की का एक साधारण रूप होता है। अगर कोई उसे छू ले तो लड़की की नजरों में उसकी एक अलग जगह होती है। 23 घंटे तक की लगातार शूटिंग, अनन्या पांडे ने शेयर किया एक्सपीरियंस बेटी की तेरहवीं में भी शामिल नहीं हुईं मौसमी चटर्जी, दामाद ने लगाया गंभीर आरोप समंदर किनारे इस हॉट मॉडल ने दिया सेक्सी पोज, जिसे देख फैंस की थम गई साँसे