मदुरै के एक गांव में तकरीबन 50 दलितों ने जीवन में पहली बार स्थानीय मंदिर में एंट्री की। दिलचस्प बात यह है कि मंदिर 20 दलित परिवारों से घिरा हुआ है तथा वे ही मंदिर की देखभाल भी करते हैं तथा पंडित भी इन्हीं दलित परिवारों में से एक है। इन 20 परिवारों के अतिरिक्त गांव के अन्य सभी दलितों को मंदिर में एंट्री करने से इंकार कर दिया गया था। आपको बता दें कि पेक्कमन करुप्पासामी मंदिर इस इलाके में बेहद प्रसिद्ध है, तथा इसके पास 8 एकड़ जमीन है। साथ-साथ मंदिर में प्रसाद आदि के माध्यम से एक अच्छा राजस्व भी आता है। बताया जाता है कि चूंकि, पिरामलाई कल्लर, आयोजन समिति का भाग हैं, इसलिए तय किया गया है कि दलितों को भीतर जाने की मंजूरी नहीं हो। हाल ही में गांव के एक दलित व्यक्ति ने मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट ने जिला प्रशासन को कार्रवाई करने का आदेश दिया तथा तहकीकात के समय पिरामलाई कल्लर ने दलितों को एंट्री करने से रोकने के दोषों से मना कर दिया। तत्पश्चात, गांव के 50 दलितों को आखिरकार पहली बार मंदिर में एंट्री प्राप्त हुई। जिस वक़्त वे मंदिर में दर्शन करने के लिए एंट्री कर रहे थे, उस वक़्त बड़े आंकड़े में पुलिस अफसर एवं थिरुमंगलम तहसीलदार की उपस्थिति थी। सावन महीने सुहागिन महिलाएं जरूर करें ये 6 काम, बनी रहेगी महादेव और मां पार्वती की कृपा जानिए कहां है नागों का तीर्थ स्थान? जिसके दर्शनमात्र से खत्म होंगे सभी दोष इलाज के बहाने हिन्दुओं को बनाया जा रहा ईसाई, असम में रंजन सुतिया गिरफ्तार