नई दिल्ली: हाल ही में विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की हार के लिए कई कारणों के अलावा, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम में संशोधन को भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जानकारी के अनुसार बता दें कि केंद्र सरकार के फैसले ने पूरे देश में ऊंची जाति समुदाय के बीच क्रोध पैदा किया है और यहां तक कि भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेताओं ने भी सरकार के इस कदम का विरोध किया। शिकोहाबाद यार्ड में मालगाड़ी पटरी से उतरने पर 11 ट्रेनों के रूट बदले यहां बता दें कि अब बीजेपी न केवल दलितों और ओबीसी पर जीत हासिल करने के लिए अभियान चलाएगी बल्कि ऊंची जाति भी होगी। इसके साथ ही बता दें कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी रणनीतिकार उच्च जाति के लोगों को शांत करने की कोशिश कर रहे है, जहां उसने अपने सहयोगियों के साथ 73 सीटें जीती थीं। वहीं बता दें कि बीजेपी विधायकों में बलिया के सुरेंद्र सिंह स्पष्ट रूप से कहा कि राज्य में ऊपरी कलाकारों को नाराज कर, पार्टी सत्ता में नहीं आ सकती है और इसी तरह के बयान पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता कालराज मिश्रा ने भी दिया था। नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड: चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई सीबीआई, अदालत ने तीनों आरोपियों को दी जमानत गौरतलब है कि यह सिर्फ ऊंची जाति की आवाज नहीं है, ओबीसी को भी सरकार का यह निर्णय पसंद नहीं आया। लेकिन राज्य भाजपा के महासचिव विजय बहादुर पाठक ने कहा, भाजपा चाहती है सबका साथ, सबका विकास। और जब हम सभी के बारे में बात करते हैं, तो किसी को छोड़ने का कोई मतलब नहीं है। इसके साथ ही बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनावों की घोषणा के लिए कम से कम दो महीने का समय है, इसलिए उन्हें न केवल संगठन में बल्कि सरकार में ऐसे लोगों को शामिल किया जाएगा। खबरें और भी योगी के कैबिनेट मंत्री और प्रयागराज की महापौर ने अदालत में किया सरेंडर सड़क हादसे में झाबुआ के महिला बाल विकास अधिकारी की मौत महेश भूपति ने कहा- डेविस कप में इटली को हराने का यह सबसे अच्छा मौका