'सॉफ्टवेयर टेस्टिंग' में है करियर की बेहतरीन संभावनाएं

वर्तमान युग में हर व्यक्ति अपने करियर को लेकर सजग हो गया है. बात छात्र-छात्राओं की हो या युवाओ की हर कोई अपने करियर को एक बेहतर दिशा की और ले जाना चाहता है. आज स्टूडेंट्स कम उम्र में ही अपने करियर को सँवारने की योजना बनाने लगे है. कोई डॉक्टर बनना चाहता है, तो कोई इंजीनियर इनके अलावा और भी कई विकल्प मौजूद है. आज के इस डिजीटल युग में सॉफ्टवेयर टेस्टिंग का चुनौतीपूर्ण करियर स्टूडेंट्स को खूब आकर्षित कर रहा है. वजह आकर्षक सैलरी के साथ ही रोजगार की ढेर सारी संभावनाएं, तो आइये जानते है सॉफ्टवेयर टेस्टिंग को नजदीक से...

सॉफ्टवेयर टेस्टिंग क्या है... जब भी कोई सॉफ्टवेयर बनता है या तैयार होता है, उसके बाद उसकी क्वालिटी को जांचा जाता है. इसकी क्वालिटी को परखने के लिए सॉफ्टवेयर टेस्ट की आवश्यकता पड़ती है. वास्तव में सॉफ्टवेयर टेस्ट सॉफ्टवेयर इंजीनियर, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट की तरह ही एक प्रोफेशन है. जब सॉफ्टवेयर इंजीनियर और डेवलपर्स किसी सॉफ्टवेयर को तैयार कर लेते हैं, इसके बाद इसकी टेस्टिंग का कार्य प्रारम्भ होता है.

सॉफ्टवेयर टेस्टर का वर्क... सॉफ्टवेयर टेस्टर का काम सॉफ्टवेयर की क्वालिटी, क्षमता और उसकी स्टैबिलिटी को परखना होता है. सामान्यतः टेस्टिंग दो प्रकार की होती है. मैनुअली टेस्टिंग और आॅटोमैटेड टेस्टिंग. मैनुअली टेस्टिंग में टेस्टर सॉफ्टवेयर को सामान्य तौर पर जांचते है. जबकि,आॅटोमैटेड टेस्टिंग में टेस्टिंग टूल का उपयोग किया जाता है.

कोर्स और योग्यता... कंप्यूटर शिक्षा देने वाले देश में प्रमुख संस्थान सॉफ्टवेयर टेस्टिंग में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स मुहैया कराते हैं. सामान्य तौर पर इस कोर्स में एडमिशन के लिए कई संस्थान बीएससीए बीसीए, एमएससी, बीईए, बीटेक, एमई, एमटेक जैसी डिग्री की डिमांड करती है.

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