कर्नाटक में कोरोना संक्रमण के वजह से पचास वर्ष से कम आयु के लोगों की मौत के आंकड़े में एकाएक बढ़ोतरी हुई है. अब तक इस आयु वर्ग में मौत का आंकड़े को मामूली माना जाता था, लेकिन अब वे सभी मौतों के करीब एक चौथाई का भाग हैं, जो बीते महीनों की तुलना में बहुत ज्यादा है. इस बारें में विशेषज्ञ मानते हैं कि आगमी सप्ताहों में कोरोना संक्रमण के इस आयु के लोगों में मौतों का आंकड़े को कम करना सबसे आवश्यक पहलू होगा. कर्नाटक कोरोना टास्क फोर्स के मेंबर डॉ सीएन मंजुनाथ ने इस संबंध में बताया कि कई युवा और मध्यम आयु वर्ग के लोगों की मौत अब अधिक हो रही है. हमने ये पाया है कि 15 प्रतिशत से 20 प्रतिशत की हृदय संबंधी बीमारी से पीड़ित हैं क्योंकि कोरोना भी एक ऐसी बीमारी है जो खून थक्का बनने को बढ़ावा देती है. कभी-कभी थक्के न सिर्फ फेफड़ों में बल्कि दिल में भी बनते जाते हैं. बीमारी के वजह से युवा लोगों के मरने का कारण हो सकता है. जबकि सब क्लिनिकल हृदय की भागीदारी करीब 30 प्रतिशत या ज्यादा है, क्लिनिकल भागीदारी करीब 10प्रतिशत से 15प्रतिशत है. कोरोना संक्रमण भी दिल के दौरे का वजह बन सकता है. इस बारें में विशेषज्ञों का बोलना है कि कोरोना वायरस के दौरान मरीज को कई सख़्त पदार्थ दिए जाते हैं, जिससे धमनियों को क्षति हो सकती है. मंजूनाथ ने आगे बताया कि चीन में किए गए पड़ताल और हाल ही में प्रकाशित अध्यन में इनसे 27 प्रतिशत तक दिल को क्षति होता दिखाया गया है. सैनिटाइजर मिला शराब पीने से 9 लोगों की गई जान उत्तर प्रदेश: माँ बेटी आत्मदाह केस में कांग्रेसी नेता हुए गिरफ्तार यूपी: रेवेन्यू डिपार्टमेंट में खाली पद भरे जाएं तो खत्म होगी बेरोजगारी