गंगा किनारे छोटे प्रजाति के पक्षियों की संख्या में वृद्धि

भागलपुर: इंसानी दखल-अंदाजी ने प्रकृति को कितना नुकसान पहुंचाया है इस बात को ज्यादा समझाने की जरुरत नहीं है. बढ़ते इंसानी कुनबे का दबाव अबसे ज्यादा वन्य जीवों ने झेला है. कई वन्य प्रजातियां विलुप हो गई है और कई विलुप्ति की कगार पर खड़ी. ऐसे में कहि कही से इस बारे में खुश खबर आने पर पर्यावरण प्रेमियों को बड़ी प्रसन्नता होती है. खबर है कि सुल्तानगंज से सबौर के बीच गंगा किनारे में छोटे-छोटे प्रजाति वाले पक्षियों की संख्या में वृद्धि हो रही है. अब इस इलाके में बड़ी संख्या में पक्षियों की चहचहाट सुनाई दे रही है. परिंदो की छोटे प्रजाति के पक्षियों की संख्या में हुई बढ़ोत्तरी राहत की खबर है.

ये खबर रविवार को मंदार नेचर क्लब और वन विभाग के संयुक्त रूप से किये गए इलाके के नौका भ्रमण के बाद आई है. इस दौरान टीम में शामिल डीएफओ एस सुधाकर, जैनेन्द्र मंडल, दीपक साह, ज्ञानचंद्र ज्ञानी, अख्तर हुसैन और वन विभाग के कर्मियों ने गंगा किनारे लालसर, मजेंठा, सरखाब, दिघोंच जैसे प्रजाति के पक्षियों की संख्या में इजाफा होने की बात कही है. नेचर क्लब के संस्थापक और वेकलाइड इंटरनेशनल अभियान के स्टेट को-आर्डिनेटर अरविंद मिश्रा ने बताया कि ठंड महीने में पक्षियों की गणना की जाती है, इसमें एशियाई पक्षियों की संख्या में कमी या बड़ोत्तरी की गणना की जाती है, उन्होंने बताया कि भ्रमण यात्रा काफी बेहतर रहा.

उन्होंने बताया कि गंगा के बदलते स्वरूप के कारण दूसरे प्रजाति के पक्षियों की संख्या कम दिखी, पर्यावरण में हो रहे परिवर्तन और सुरक्षा कारणों से भी प्रवासी पक्षियों के आगमन पर इसका प्रतिकूल असर पड़ा है, हालाकि कुछ विदेशी पक्षियों ने गंगा व कोसी तट पर अपना बसेरा बना लिया है, यहा का इलाका विदेशी पक्षियों को बहुत भाता है,पक्षियों को प्रजनन के लिए भी यह क्षेत्र काफी अनुकूल है. खेर जो भी हो प्रकृति के बिगड़ते संतुलन के बीच अपनी जिंदगी और अस्तित्व की लड़ाई लड़ते परिंदो की संख्या में इजाफा होना सचमुच ख़ुशी की बात है.

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