झारखंड में उग्रवाद और अवैध घुसपैठ का बढ़ता खतरा

झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सरकार पर उग्रवाद और अवैध बांग्लादेशी घुसपैठ को रोकने में विफल रहने के आरोप लगे हैं। इस मामले में जांच की जा रही है। सरकार की विफलता से झारखंड की सुरक्षा और सामाजिक संरचना खतरे में है। साथ ही, प्रशासनिक क्षमताओं पर भी सवाल उठ रहे है।

दिल्ली पुलिस, झारखंड एटीएस और अन्य केंद्रीय एजेंसियों के संयुक्त ऑपरेशन में अल-कायदा के एक बड़े मॉड्यूल का पर्दाफाश हुआ है। इस ऑपरेशन में 12 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें एक डॉक्टर, मदरसा शिक्षक और अन्य नौकरियों में शामिल लोग शामिल है। झारखंड के एक एमबीबीएस डॉक्टर डॉ. इश्तियाक अहमद को अल-कायदा के एक बड़े मॉड्यूल का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। डॉ. अहमद के कथित तौर पर अंतरराष्ट्रीय संबंध थे और उन्होंने संगठन में युवाओं की भर्ती के लिए रांची के चान्हो में एक मदरसा शिक्षक मुफ्ती रहमतुल्लाह माझिरी से संपर्क किया था। चौंकाने वाली बात यह है कि शिक्षित पेशेवरों की भागीदारी ही नहीं, बल्कि इनका स्थानीय समुदायों के साथ गहरा संबंध भी है। गिरफ्तार किए गए अधिकांश लोग आर्थिक रूप से वंचित पृष्ठभूमि से आते हैं, जो छोटे-मोटे काम करते हैं।

झारखंड में चरमपंथ के बढ़ते प्रभाव के साथ-साथ अवैध बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा भी गहराता जा रहा है। संथाल परगना क्षेत्र में यह समस्या विशेष रूप से गंभीर है, जहां पाकुड़ जैसे जिले भी शामिल हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2011 की जनगणना में पाकुड़ में जनसंख्या वृद्धि दर 28% दर्ज की गई थी। लेकिन हाल ही में हुई एक सत्यापन प्रक्रिया से पता चला है कि पाकुड़ के मुस्लिम-बहुल क्षेत्रों में मतदाता वृद्धि दर आश्चर्यजनक रूप से 65% हो गई है। इस तरह की विसंगति से पता चलता है कि अवैध प्रवासी क्षेत्र में बड़ी संख्या में आ रहे हैं, जो क्षेत्र के जनसांख्यिकीय और चुनावी परिदृश्य को प्रभावित कर सकते हैं। यह एक गंभीर समस्या है जिसे तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।

पाकुड़ जिला प्रशासन द्वारा की गई सत्यापन प्रक्रिया काफी सतही साबित हुई है, जो केवल तीन दिनों में पूरी की गई और इसमें दस्तावेजों की गहन जांच नहीं की गई। यह प्रक्रिया केवल आधार के साथ मतदाता कार्ड के मिलान पर निर्भर थी, जो कि पर्याप्त नहीं है। संथाल में आधार कार्ड और जन्म प्रमाण पत्र जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों के बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े की सूचना देने में विफल रहने के कारण इस त्वरित सत्यापन की आलोचना हो रही है। यह प्रक्रिया इतनी तेजी से और सतही तरीके से की गई कि इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।

हेमंत सोरेन सरकार की अवैध बांग्लादेशी घुसपैठ के प्रति कथित उदारता से जुड़े घटनाक्रम चिंताजनक हैं। आलोचकों का मानना है कि झामुमो-कांग्रेस सरकार राजनीतिक लाभ के लिए अवैध प्रवासियों को प्रोत्साहित कर रही है, जिससे उनका मतदाता आधार मजबूत हो सके। इस तरह, सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा और सांप्रदायिक सद्भाव के मुद्दों को नजरअंदाज कर रही है, जो गंभीर चिंता का विषय है।

उग्रवाद का उदय और अवैध प्रवासियों की अनियंत्रित घुसपैठ की दोहरी चुनौती झारखंड के लिए एक चिंताजनक स्थिति पैदा कर रही है। अगर इन चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटा नहीं गया, तो इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं, जो न केवल झारखंड की आंतरिक सुरक्षा के लिए बल्कि पूरे देश की सामाजिक-राजनीतिक स्थिरता के लिए भी हानिकारक होंगे। अगर इन चुनौतियों को अनियंत्रित छोड़ दिया जाता है, तो चरमपंथी विचारधाराएं इस क्षेत्र को अस्थिर कर सकती हैं और अवैध प्रवासियों की निरंतर आमद से जनसांख्यिकीय संतुलन बदलने और कानून के शासन को कमजोर करने का खतरा पैदा हो सकता है।

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