भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली ने शनिवार यानी 4 जनवरी 2020 को सीएए पर बिना किसी पूर्ण जानकारी के टिप्पणी करने से मना कर दिया. सीएए से अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय हिन्दू, सिख, बौध, जैन, पारसी और ईसाइयों को 12 साल के बजाय छह साल भारत में रहने पर भारातीय नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है. कोहली ने 2016 में नोटबंदी को ‘भारतीय राजनीति का सबसे महत्वपूर्ण कदम’ करार दिया था, जिसके लिए उन्हें आलोचना भी झेलनी पड़ी थी और लोगों ने इस विषय पर उनकी जानकारी को लेकर सवाल किए गए है. वहीं इस बात का पता चला है कि सीएए के खिलाफ गुवाहाटी में कुछ दिन पहले बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुए थे और ऐसे में भारतीय कप्तान से जब इस संबंध में सवाल किया गया तो उन्होंने जवाब देने में बेहद सतर्कता बरती. कोहली ने श्रीलंका के खिलाफ पहले टी-20 अंतरराष्ट्रीय की पूर्व संध्या पर कहा, ‘इस मसले पर मैं गैरजिम्मदार नहीं होना चाहता है और ऐसा कुछ नहीं कहना चाहता हूं जिस पर दोनों पक्षों की आम राय न हो. वहीं मुझे इसके बारे में संपूर्ण जानकारी होनी चाहिए कि इसका क्या मतलब है और इसको लेकर क्या चल रहा है और इसी के बाद मुझे इस पर बयान देने के लिये जिम्मेदार होना चाहिए.’ जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि कप्तान ने स्पष्ट किया कि वह जिस विषय के बारे में ज्यादा नहीं जानते उस पर टिप्पणी करके खुद को विवादों में नहीं घसीटना चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘क्योंकि आप एक बात कह सकते हैं और उसके बाद कोई दूसरी बात कह सकता है. इसलिए मैं ऐसी किसी चीज में नहीं पड़ना चाहता जिसकी मुझे पूर्ण जानकारी नहीं हो और इस टिप्पणी करना मेरे लिहाज से जिम्मेदारी भरा नहीं होगा.’ कोहली हालांकि सुरक्षा व्यवस्था से संतुष्ट हैं और उन्होंने कहा कि शहर पूरी तरह से सुरक्षित है. उन्होंने कहा, 'शहर पूरी तरह से सुरक्षित है. हमने सड़कों पर किसी तरह की परेशानी नहीं देखना होगा.' भारतीय ओलम्पिक संघ ने फरवरी तक सीओए को दोबारा संविधान में सुधार करने को कहा U-19 टीम इंडिया का विजयी आगाज़, साउथ अफ्रीका को 66 रनों से रौंदा ओलंपिक में दावेदारी के लिए सुशील के भग्य पर निर्भर हैं, 74 किलो भार वर्ग में जितेंदर कुमार ने मारी बाजी