'भारत हम सबका है, हमने कड़ी मेहनत से आज़ादी हासिल की है..', भगवत पर अब्दुल्ला का पलटवार

श्रीनगर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयान ने देशभर में सियासी माहौल गरमा दिया है। भागवत ने कहा था कि भारत को "सच्ची स्वतंत्रता" राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन मिलेगी, जिसे लेकर विपक्षी नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। भागवत ने मध्य प्रदेश के इंदौर में एक कार्यक्रम में कहा था कि, "भारत ने कई शताब्दियों तक उत्पीड़न सहा। 1947 में स्वतंत्रता तो मिली, लेकिन इसकी स्थापना नहीं हुई थी। भारत की सच्ची स्वतंत्रता राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन स्थापित होगी।"  

नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने भागवत के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "भारत एक महान राष्ट्र है, और यह हम सभी का है। हमने कड़ी मेहनत से आजादी पाई है। इस स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए हमें भाईचारा कायम रखना होगा। मुझे उम्मीद है कि मोहन भागवत और अन्य लोग ऐसा भारत बनाएंगे, जहां सद्भाव और प्रगति के साथ हम रह सकें।" पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भागवत के बयान को "खतरनाक" करार देते हुए कहा, "यह कहना कि भारत को सच्ची आजादी राम मंदिर के अभिषेक के बाद मिली, आजादी के संघर्ष का अपमान है। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने देश के लिए जान दी। यह बयान हमारे इतिहास को मिटाने की कोशिश जैसा है। इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।"  

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे हर भारतीय का अपमान बताते हुए आरएसएस प्रमुख के बयान की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा, "भागवत ने जो कहा, वह देशद्रोह है। इसमें स्वतंत्रता आंदोलन और संविधान को अमान्य बताया गया है। किसी भी अन्य देश में ऐसे बयान पर गिरफ्तारी होती। यह कहना कि 1947 में हमें स्वतंत्रता नहीं मिली, हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और हर भारतीय का अपमान है। अब वक्त आ गया है कि हम इस बकवास को सुनना बंद करें।"  

भागवत के बयान के बाद सियासी पारा चढ़ गया है। जहां आरएसएस इसे सांस्कृतिक पुनरुत्थान का बयान मान रहा है, वहीं विपक्ष इसे स्वतंत्रता आंदोलन और देश के संविधान पर हमला बता रहा है। यह बयान ऐसे समय आया है, जब देश में राजनीतिक माहौल पहले से ही गरम है। विपक्ष ने स्पष्ट किया है कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हजारों लोगों ने अपनी जान की कुर्बानी दी, और संविधान को अमान्य ठहराने की कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वहीं, यह देखना होगा कि इस बयान के बाद राजनीतिक खेमों में चर्चा किस दिशा में आगे बढ़ती है।

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