चीन के बिलकुल करीब भारत ने बनाई एयरफील्ड, 13700 फ़ीट की ऊंचाई पर फाइटर-जेट तैनात

लेह: लद्दाख के न्योमा में भारत का एक अत्याधुनिक एडवांस लैंडिंग ग्राउंड (ALG) लगभग बनकर तैयार है। यह हवाई पट्टी चीन के साथ लगने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास, 13,700 फीट की ऊँचाई पर स्थित है और इसका रनवे तीन किलोमीटर लंबा है। इस रनवे का उपयोग आपातकालीन परिस्थितियों में तत्काल किया जा सकता है। मोदी सरकार ने इस परियोजना को 2021 में शुरू किया था, जिसके लिए 214 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था। यह ALG भारतीय सुरक्षा बलों को उत्तरी सीमा पर तेजी से पहुंचने में मदद करेगा।

न्योमा में स्थित यह एडवांस लैंडिंग ग्राउंड LAC के बेहद करीब है और इसका स्थान इसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाता है। यह कठिन पर्वतीय इलाकों में भारतीय वायुसेना को सीधी पहुँच प्रदान करेगा। गलवान घाटी में हुई घटनाओं और चीन के साथ बढ़ते तनाव के कारण यह इन्फ्रास्ट्रक्चर और भी आवश्यक हो गया है। LAC से मात्र 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह हवाई पट्टी भारत की सैन्य और लॉजिस्टिक क्षमताओं को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगी।

इससे पहले, दौलत बेग ओल्डी (DBO) एयरस्ट्रिप, जो 16,614 फीट की ऊँचाई पर स्थित है, 2008 में भारतीय वायुसेना द्वारा बिना सरकारी अनुमति के दोबारा शुरू की गई थी। यह हवाई पट्टी 43 साल तक बंद थी, लेकिन तत्कालीन वायुसेना उप प्रमुख एयर मार्शल पीके बारबोरा ने इसे पुनः सक्रिय किया। उन्होंने बताया था कि यह मिशन पूरी तरह से गोपनीय रखा गया था, और रक्षा मंत्री को भी इसकी जानकारी तब दी गई जब मिशन पूरा हो गया। बारबोरा ने कहा कि अगर उन्होंने पहले सरकार से लिखित अनुमति मांगी होती, तो तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा इस योजना को शायद रोक दिया गया होता।

इस बार, न्योमा ALG की स्थापना में मोदी सरकार ने वायुसेना को पूरा समर्थन दिया है। सरकार ने न केवल बजट उपलब्ध कराया बल्कि सेना को स्वतंत्र रूप से काम करने की अनुमति भी दी। भारत और चीन के बीच हाल के वर्षों में हुए सीमा विवादों के चलते भारत ने अपनी सीमाओं पर तेजी से बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है। यह दिखाता है कि भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर है और किसी भी आपात स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है।

न्योमा ALG के चालू हो जाने से सेना की ऊँचे और कठिन क्षेत्रों में त्वरित पहुँच में जबरदस्त सुधार होगा। इससे भारतीय सैन्य बलों की LAC पर ऑपरेशनल क्षमता बढ़ जाएगी। इसके अलावा, यह हवाई पट्टी स्थानीय निवासियों के लिए भी लाभकारी होगी, क्योंकि इससे क्षेत्र में कनेक्टिविटी बेहतर होगी और आपूर्ति व अन्य आवश्यकताओं को समय पर पूरा किया जा सकेगा।

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