आपको बता दे की चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर रामनवमी मनाई जाती है. यह पर्व भारत में ही बहुत महत्वपूर्ण है. जैसा कि नाम से ही जाना जाता है इस दिन भगवान श्री राम की आराधना की जाती है. भगवान श्री राम के जन्म की प्रसन्नता में यह पर्व मनाया जाता है. दरअसल हिंदू कैलेंडर में इस दिन का बेहद महत्व है. श्री राम नवमी पर सभी राम मंदिरों में दोपहर करीब 12 बजे आरती ओर जन्मोत्सव का आयोजन कर भगवान के पर्व का उल्लास मनाया जाता है. भोग के तौर पर पंजेरी का प्रसाद श्रद्धालुओं में वितरित किया जाता है. हालांकि यह पर्व देशभर में महत्वपूर्ण है लेकिन उत्तरभारत, गुजरात और दक्षिण भारत में यह पर्व विशेषतौर पर मनाया जाता है. विशेषतौर पर तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना व बिहार में इस दिन समारोह का आयोजन किया जाता है. दक्षिण भारत में इस दिन को भगवान राम और सीता के विवाह का दिन माना जाता है और इसे सीताराम कल्यानम कहा जाता है. दक्षिण भारत में इस दिन भगवान राम को प्रसादम चढ़ाया जाता है. इस प्रसाद को नैवेद्यम कहा जाता है, जो एक प्रकार का लड्डू होता है. इसके अलावा यहां पानकम्ः, नीर मोर और वारा पदयूपु जैसे पकवान भी घरों में बनाए जाते हैं. रामनवमी के दिन ही मां दुर्गा की पूजा की जाती है और इसी दिन नवरात्री महोत्सव का समापन किया जाता है. रामनवमी और दुर्गा पूजा के संबंध में पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि रावण से युद्ध करने से पहले भगवान राम ने इसी दिन दुर्गा पूजा की थी जिससे युद्ध में विजय प्राप्त की जा सके. इसी कारण इन दोनों पर्वां को एक साथ मनाया जाता है. राम नवमी....दोपहर में करें रामजी का जन्म रामनवमी का पोस्टर फाड़ने पर बिहार में हिंसा अयोध्या में बम मिलने से क्षेत्र में सनसनी