नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच भले ही पिछले कुछ समय से बॉर्डर को लेकर तनाव बढ़ा है, किन्तु एक मुद्दे पर दोनों देश एक साथ खड़े दिखाई दिए. दरअसल, स्कॉटलैंड के ग्लासगो में हाल ही में संपन्न हुई यूनाइटेड नेशंस (UN) की जलवायु वार्ता में भारत और चीन प्रस्ताव में एक बड़ा परिवर्तन करवाने में सफल रहे. दरअसल, ग्लोबल वार्मिंग को कम करने और अपने-अपने देश को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए तक़रीबन 200 देशों की कई स्तर पर वार्ता हुई हैं. COP26 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत और चीन ने विकासशील देशों का नेतृत्व करते हुए कोयले के उपयोग को पूरी तरह से खत्म करने और जीवाश्म ईंधन सब्सिडी हटाने के प्रस्ताव का जमकर विरोध किया था. इसके बाद ही इस सम्मेलन में कोयले का उपयोग खत्म करने की नहीं, बल्कि उसे कम करने के लक्ष्यों के साथ जलवायु समझौते को स्वीकृति दी गई है. इस सम्मेलन के खत्म होने से कुछ समय पहले ही भारत के इस प्रस्ताव पर स्वीकृति दी गई है. इसी के साथ ही कोयले से जुड़े ‘फेज डाउन’ शब्द ने पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया. दरअसल, सम्मेलन में पेश ड्राफ्ट में तमाम देशों को कोयले के उपयोग के लिए फेज आउट (कोयले के इस्तेमाल को पूर्णतः बंद करना) पर सहमति देनी थी, किन्तु अंतिम क्षणों में भारत और चीन ने इसे अपनी आवश्यकता के हिसाब से फेज डाउन (धीरे-धीरे कम करना) करा लिया. भारत और चीन के विरोध के बाद ये सहमति बनी कि कुछ देश कोयले के उपयोग को पूरी तरह 'खत्म' ना करके धीरे-धीरे 'कम' करेंगे जिससे कई देश नाराज दिखाई दिए. बिहार में भीषण सड़क हादसा, सुशांत सिंह राजपूत के 6 रिश्तेदारों की दर्दनाक मौत, 4 घायल खेल पुरस्कार पाने वालों को कोहली ने दी बधाई, यहाँ देखें सम्मानितों की पूरी सूची सोने-चांदी की कीमतों में आया उछाल, जानिए आज का नया भाव