भारत और मॉरीशस ने सोमवार को 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर के रक्षा लाइन ऑफ क्रेडिट समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह विदेश मंत्री एस जयशंकर की चल रही यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच हुए व्यापक आर्थिक सहयोग और साझेदारी समझौते (सीईसीपीए) सहित कई अंडरस्टैंडिंग का हिस्सा था। भारत ने मॉरीशस के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को बदलने का फैसला किया इसके बाद यह पाया कि द्वीपीय राष्ट्र के साथ पहले की दोहरी कराधान परिहार (डीटीए) संधि का भारत में अवैध धन को रूट करने के लिए दुरुपयोग किया जा रहा था। नए सीईसीपीए पर भारतीय वाणिज्य सचिव अनूप वधावन और राजदूत हेमंडोयाल डिलम, विदेश मामलों के सचिव, क्षेत्रीय एकीकरण और अंतरराष्ट्रीय व्यापार, मॉरीशस सरकार ने सोमवार को मॉरीशस के प्रधानमंत्री और भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए। दरअसल, भारत ने जो टैक्स एडवांटेज दिया, उसने मॉरीशस को देश के सबसे बड़े प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का सप्लायर बना दिया। तब से भी पूर्व की व्यापारिक प्रणाली में विभिन्न खामियों को दूर किया गया है। सीईसीपीए अफ्रीका में किसी देश के साथ भारत द्वारा हस्ताक्षरित पहला व्यापार समझौता है। यह समझौता एक सीमित समझौता है, जिसमें वस्तुओं में व्यापार, मूल के नियम, सेवाओं में व्यापार, व्यापार में तकनीकी बाधाएं (टीबीटी), स्वच्छता और फाइटोसैनिटरी (एसपीएस) उपाय, विवाद निपटान, प्राकृतिक व्यक्तियों की आवाजाही, दूरसंचार, वित्तीय सेवाएं, सीमा शुल्क प्रक्रियाएं और अन्य क्षेत्रों में सहयोग शामिल होंगे। व्यापार समझौते में दोनों देशों के बीच व्यापार को प्रोत्साहित करने और बेहतर बनाने के लिए एक संस्थागत तंत्र का प्रावधान है। काठमांडू: क्षमा पूजा के लिए काठमांडू में 25 भारतीय पुजारी हुए शामिल नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री ने दिल्ली में डॉक्टरों से मांगा परामर्श अमेरिका में कोरोना से हुई 5 लाख लोगों की मौत, श्रद्धांजलि देने के लिए व्हाइट हाउस में जलाई गई मोमबत्तियां