भारत भले ही कितनी ही बातें कर ले लेकिन वास्तविकता के धरातल पर चीन भारत से कही आगे है. अमेरिका की नक्शे क़दम पर इंडियन ड्रीम और न्यू इंडिया के लिए योजनाए जरूर तैयार कर ली गई है मगर चीन से आगे निकला सोच लेने जितना आसान नहीं है. भारत में 2014 से पूर्ण बहुमत के साथ अस्तित्व में आई बीजेपी सरकार ने न्यू इंडिया के का जो सपना देखा है उसके साथ ही न्यू इंडिया और न्यू चाइना दोनों बढ़ रहे है मगर दोनों के बीच का फ़ासला बीते चार साल में लगभग 50 साल और बढ़ गया है, और इस रेस में चीन फ़िलहाल 50 साल आगे है. जाने तथ्यों को. चाइनीज ड्रीमलाइनर: बोइंग और एयरबस दुनिया की सभी अर्थव्यवस्थाओं को लंबी उड़ान देने का काम कर रही है. वैश्विक स्तर पर जिस तरह चीन एक आर्थिक शक्ति बनकर उभरा है आने वाले दिनों में उसकी भी निर्भरता बोइंग और एयरबस पर बनी रहती. भारत को अभी इस क्षेत्र में पहल करने में कई दशक लग सकते हैं क्योंकि फिलहाल वह एक हेलिकॉप्टर तक के लिए अन्य देशों पर निर्भर है. मेड इन चाइना- इंडस्ट्री-4 : राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीन की कमान संभालने के बाद 2015 में चीन को इंडस्ट्री-4 तमगा दिलाने के लिए मेड इन चाइना-2025 की शुरुआत की है जिसके तहत वह मैन्यूफैक्चरिंग हब को भूलकर महज उत्कृष्ट उत्पादन में शरीक होगा. भारत ने 2015 में मेक इन इंडिया की शुरुआत की जिसके चलते वह चीन की जगह दुनिया का मैन्यूफैक्चरिंग हब बन सके. युआन बना ग्लोबल करेंसी: साल 2016 में युआन ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की करेंसी बास्केट में बतौर अंतरराष्ट्रीय करेंसी अपनी जगह बना ली है. अब उसे डॉलर पर निर्भर होने की जरूरत नहीं है क्योंकि उसकी करेंसी खुद डॉलर के बराबर अंतरराष्ट्रीय बाजार में खड़ी है. OBOR: OBOR की 2017 में स्थापना कर चीन ने पहली बार कोई ऐसी कोशिश की है जिसका असर अगले सैकड़ों साल तक पूरी दुनिया पर पड़ना तय है. OBOR की स्थापना होने के बाद उसके लिए अपना मैन्यूफैक्चर्ड माल पूरे यूरोप और एशिया में वितरित करना आसान और अधिक फायदेमंद हो जाएगा. भारत की चेतावनी पाकिस्तान को अंजाम भुगतना पड़ेगा लन्दन एयरपोर्ट में मिला द्वितीय विश्वयुद्ध का विनाशकारी बम एक लिफाफा खोलते ही अस्पताल में भर्ती ट्रम्प की बहु