'मोदी सरकार में लगातार अपनी जमीन खो रहा भारत..', कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे के दावों की सच्चाई हैरान कर देगी

नई दिल्ली: रविवार (7 जुलाई) को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास चीन द्वारा सैन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण और निर्माण के बारे में एक मीडिया रिपोर्ट साझा करते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। खड़गे ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार के तहत देश ने अपने संप्रभु क्षेत्र चीन के हाथों गँवा दिए हैं। इसके लिए खड़गे ने एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते  बताया कि चीन ने पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर सिरिजाप साइट पर एक सैन्य अड्डा बनाया है। इसके बाद उन्होंने आरोप लगाया कि यह क्षेत्र मई 2020 तक भारतीय नियंत्रण में था और मोदी सरकार ने चीन के हाथों इसे गँवा दिया।

 

यही नहीं, अपनी पोस्ट में, खड़गे ने मौजूदा भारत सरकार पर चीन के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं करने का भी आरोप लगाया और पीएम मोदी पर भारतीय क्षेत्रों को चीन के हाथों गंवाने का आरोप लगाया। हालांकि, कांग्रेस प्रमुख के सभी दावे तथ्यात्मक रूप से भ्रामक निकले।  जाने माने रक्षा विश्लेषक अभिजीत अय्यर मित्रा ने सोशल मीडिया पर डोनी नामक एक एक्स हैंडल द्वारा किए गए मल्लिकार्जुन खड़गे के दावों की जांच करते हुए उनकी सच्चाई बताई है। तथ्य ये है कि, खड़गे जिस जगह का दावा कर रहे हैं, वो सिरिजाप दशकों से चीन के नियंत्रण में है, 1962 के भारत-चीन युद्ध में चीन ने इस पर कब्ज़ा कर लिया था।

 

फैक्ट चेकर ने 2013 की एक मीडिया रिपोर्ट भी साझा की है, जिसमे कांग्रेस सरकार स्वीकार कर रही है कि चीनी सेना ने भारत को सिरिजाप तक पहुंचने से रोक दिया था। यानी, मोदी सरकार के सत्ता में आने से एक साल पहले, यह क्षेत्र भारत के नियंत्रण में नहीं था। यही नहीं, 2009 तक चीन ने इस क्षेत्र में एक पूर्ण विकसित निगरानी/खुफिया बेस बना लिया था, उस समय भी कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार सत्ता में थी। रिपोर्ट के अनुसार, 2005 में यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक जर्नल में, जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार सत्ता में थी, जनरल थपलियाल ने 1962 के भारत-चीन युद्ध के बारे में विस्तार से लिखा था और बताया था कि कैसे चीनी सेना ने सिरिजाप और उसके आसपास के इलाकों पर “कब्ज़ा” किया था। युद्ध अपराध करते हुए, चीनी सैनिकों ने भारतीय युद्धबंदियों को कतार में खड़ा किया और उन सभी को गोली मार दी थी।

 

जबकि चीन और भारत में ये समझौता है कि दोनों ओर से जवान एक दूसरे पर गोली-बारूद से हमला नहीं करेंगे, हमने डोकलाम 2017 और गलवान 2020 में देखा है कि, कई महीनों तक गतिरोध चला, लेकिन बॉर्डर पर गोली नहीं चली। गलवान में लात-घूंसों और कांटे वाले डंडों से जवानों में लड़ाई हुई, जिसमे 20 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए, वहीं, अमेरिकी रिपोर्ट के अनुसार चीन के 40 से अधिक सैनिक मारे गए। हालाँकि, चीन ने अपने मृत सैनिकों की संख्या छुपा ली थी। बाद में अमेरिकी ख़ुफ़िया रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ। 

 

अपनी पोस्ट में अभिजीत अय्यर मित्रा ने आगे बताया है कि इस जगह को गूगल मैप्स पर चीन के नगारी प्रान्त में सूचीबद्ध किया गया है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि आज दिखाई देने वाली सभी सड़कें 2009 में भी दिखाई देती थीं। मौजूदा समय पर भी भारत चीन में बॉर्डर को लेकर तनाव जारी है, लेकिन मौजूदा सरकार टकराव से पहले बॉर्डर पर अपनी स्थति मजबूत कर रही है, वहां सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है, रेलवे लाइन्स बिछाई गईं हैं, लद्दाख में एयरफील्ड और चेक पोस्ट्स बन रहीं हैं। न्योमा इलाके में बनाई जा रही यह एयरफील्ड दुनिया का सबसे ऊंचा लड़ाकू हवाई क्षेत्र होगा। इसके अलावा टनल और हेलीपेड्स का काम भी हुआ है, ताकि जरूरत पड़ने पर सेना को फ़ौरन रसद और अन्य जरुरी सामग्री पहुंचाई जा सके।  जब मोदी पीएम बने थे, तब चीन से सटी सीमा पर बुनियादी ढांचे का बजट मात्र 3,500 करोड़ रुपए था, जो अब 14,500 करोड़ रुपए पहुँच चुका है, ये साफ़ दर्शाता है कि बॉर्डर पर किस रफ़्तार से काम हुआ है। 2013 में कांग्रेस सरकार में रक्षा मंत्री रहे एके अंटोनी ने संसद में कहा भी था, कि ''सबसे अच्छी डिफेंस पॉलिसी ये होगी कि हम बॉर्डर पर बुनियादी ढांचा ही ना बनाएं, वहां सड़क, एयरफील्ड ना बनाएं, क्योंकि अविकसित सीमाएं, विकसित सरहदों से अधिक सुरक्षित होती हैं।'' आज कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे जी आरोप लगा रहे हैं कि, चीन सिरिजाप में निर्माण कर रहा है, जिसे उसने 1962 में कब्ज़ा किया था, और उसके लिए मौजूदा सरकार पर निशाना साध रहे हैं। 

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