ब्रिक्स एंटी-ड्रग वर्किंग समूह की बैठक का भाग बना भारत

ब्रासीलिया: इंडिया ने ब्रिक्स देशों के हालिया वेबिनार सम्मेलन के बीच मादक पदार्थों की तस्करी के लिए डार्कनेट और आधुनिक तकनीक के गलत इस्तेमाल पर चर्चा की, एक सरकारी बयान में रविवार को बताया  गया. गृह मंत्रालय ने बोला कि इस बहु-राष्ट्रीय समूह की नशीली दवाओं के विरोधी एजेंसियों ने समुद्री मार्ग के माध्यम से मादक पदार्थों की तस्करी की बढ़ती आपदाओं को रोकने के लिए कदमों पर भी वार्तालाप किया. जंहा रूस की अध्यक्षता में ब्रिक्स एंटी-ड्रग वर्किंग ग्रुप का 4वां सत्र 12 अगस्त को आयोजन किया जाने वाला था.  और इस बैठक में हिंदुस्तान के पक्ष का प्रतिनिधित्व नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के महानिदेशक राकेश अस्थाना ने किया था. गौरतलब है कि ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, चीन, दक्षिण अफ्रीका और भारत भी मौजूद हैं.

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में बोला गया कि ब्रिक्स देशों में दवा की स्थिति से संबंधित विचारों का इस्तेमाल आदान-प्रदान, मादक पदार्थों, मनोवैज्ञानिक पदार्थों और उनके अग्रदूतों में अवैध तस्करी के अंतर्राष्ट्रीय और इलाकों में रुझान, साथ ही साथ स्थिति पर विभिन्न आंतरिक और बाहरी कारकों का प्रभाव शिखर सम्मेलन के बीच होने वाला है. विभाग की ओर से आगे बयान में बताया गया कि चर्चा के बीच उभरे सामान्य बिंदुओं में सदस्य देशों के बीच वास्तविक समय की जानकारी शेयर करने की जरुरत और समुद्री मार्गों के माध्यम से बढ़ती नशीली दवाओं की तस्करी पर अंकुश लगाने की जरूरत है जैसे मुद्दे मौजूद रहे.  जिसमे यह कहा गया है कि मादक पदार्थों की तस्करी के लिए डार्कनेट और अन्य उन्नत तकनीकों का दुरुपयोग बैठक का प्रमुख केंद्र क्षेत्र था.

वहीं इस बता का पता चला है कि डार्कनेट गहरे छिपे हुए इंटरनेट प्लेटफ़ॉर्म को संदर्भित कर रहा है जो कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों की निगरानी से दूर रहने के लिए TOR  के गुप्त गलियों का इस्तेमाल करके मादक पदार्थों की बिक्री, अश्लील सामग्री के आदान-प्रदान और अन्य अवैध गतिविधियों के लिए इस्तेमाल कर रहा था.  वहीं इस बारें में आगे कहा गया है कि सदस्य राष्ट्रों ने बैठक में चर्चा की गई सभी बिंदुओं को मौजूद हुए.  बयान में आगे बोला गया कि ब्रिक्स देशों की बढ़ती आर्थिक ताकत, वैश्विक आर्थिक विकास के मुख्य ड्राइविंग बलों में से एक के रूप में उनका अहम्, उनकी पर्याप्त आबादी और प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधन अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य पर उनके प्रभाव की नींव बनी हुई है. 

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