नईदिल्ली। न्यूक्लियर्स सप्लायर्स ग्रुप की सदस्यता को लेकर चीन द्वारा विरोध करने और विवादित बयानबाजियां करने को लेकर भारत ने कहा है कि वे करीब 48 देशों वाले इस ग्रुप की सदस्यता को ऐसे ही नहीं पाना चाहता है वह तो इसे अपने रिकाॅर्ड के कारण मांग रहा है। इस मामले मेें विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि भारत एनएसजी की सदस्यता को उपहार के तौर पर नहीं मांगता है वह तो इसे अपने रिकाॅर्ड के चलते ही मांग रहा है। गौरतलब है कि चीन ने इस मामले में कहा था कि एनएसजी में भारत की भागीदारी यह कोई तोहफा नहीं है जो अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा को उनकी विदाई पर दे दिया जाए। ऐसे में भारत ने चीन के बयान का विरोध किया। उसने कहा कि दूसरे आवेदकों की ही तरह पाकिस्तान का रिकाॅर्ड प्रश्नों के दायरे में है। एनएसजी की सदस्यता के लिए सभी के द्वारा दावेदारी की जा रही है। गौरतलब है कि चीन भारत का विरोध कर रहा है और कह रहा है कि परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर किए बिना भारत को इस ग्रुप में भागीदारी देना ठीक नहीं है। इस मामले में दक्षिण मध्य एशियाई मामले की अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री निशा देसाई बिस्वाल के बयान को लेकर प्रतिक्रिया दी गई। इस मामले में बिस्वाल ने कहा कि स्पष्ट तौर पर चीन भारत की एनएसजी सदस्यता को लेकर बाधा डाल रहा है मगर अब इस मामले में प्रयास किए जा रहे हैं कि ये परेशानियां दूर हो जाऐं।