नई दिल्लीः मंदी में चल रही देश की अर्थव्यवस्था को लेकर विभिन्न एजेंसियां विकास दर को लेकर अपना अनुमान व्यक्त कर रही है। इस कड़ी में एक और संस्था शामिल लहो गयी है। इसके अनुमान के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी 6.7 फीसद रहने का अनुमान है, पुराने अनुमान में इसे 7.3% बताया गया था। जीडीपी में कमी के पीछे कमजोर खपत, मानसून और विनिर्माण विकास में मंदी को बताया गया है। यह आंकड़ा ऐसे समय में सामने आया है जब हाल ही में मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने 2019 कैलेंडर वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि के अनुमान को 6.8 फीसद के पुराने अनुमान से घटाकर 6.2 फीसद कर दिया है। भारत की रेटिंग और रिसर्च ने एक रिपोर्ट में कहा, 'हमने वित्त वर्ष 2020 के लिए देश के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर को संशोधित कर 6.7 फीसद कर दिया है, पूर्व के अनुमान में यह 7.3 फीसद था।' रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वित्त वर्ष 2020 लगातार तीसरा ऐसा वर्ष होगा जिसमें मांग में कमी, मानसून में देरी और विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट के साथ ही तय समय-सीमा में दिवाला संहिता कानून के तहत आने वाले मामलों को हल नहीं किए जाने से ग्रोथ रेट धीमी रहेगी। रिपोर्ट के मुताबिक, बढ़ते वैश्विक व्यापार तनाव का निर्यात पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। रिपोर्ट में बताया गया है कि तिमाही आधार पर भी वित्त वर्ष 2020 की पहली तिमाही लगातार पांचवे साल ऐसी तिमाही रही है जिसमें जीडीपी ग्रोथ रेट में गिरावट रही है और यह 5.7 फीसद रहा है। रेटिंग एजेंसी का मनाना है कि वित्त वर्ष 2020 की दूसरी छमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर बढ़कर 7.4 फीसद हो जाएगी। रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचे सोने के दाम, चांदी भी 50 हज़ार के करीब रियल एस्टेट सेक्टर को संकट से उबारने के लिए सरकार कर सकती है बड़ी घोषणाएं पेट्रोल और डीजल की कीमतों में आयी गिरावट, जानें नई कीमत