भारत में जारी लॉकडाउन के बीच कोरोना वायरस के मरीजों का बिना जाति-धर्म के आधार पर इलाज हो रहा है. भारत ने 'अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिका के आयोग' (यूएससीआइआरएफ) की आलोचना को खारिज कर दिया. भारत ने कहा कि उसकी आलोचना इस 'गुमराह' करने वाली रिपोर्ट पर आधारित है कि अहमदाबाद में कोविड-19 के मरीजों को धार्मिक पहचान के आधार पर अलग किया गया है. मीडिया में यह खबर आई थी कि गुजरात के अहमदाबाद में एक सरकारी अस्पताल में संक्रमित मरीजों को उनके धर्म के आधार पर अलग किया गया है. इसके बाद अमेरिकी आयोग ने भारत में कोरोना वायरस महामारी से निपटने के तरीके पर चिंता जताई थी. मौलाना साद के दो करीबी रिश्तेदार निकले कोरोना पॉजिटिव, पूरा इलाका सीएल इस मामले को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पर यूएससीआइआरएफ की टिप्पणी क्या पहले ही काफी नहीं है जो वह अब भारत में कोविड-19 से निपटने के लिए पालन किए जाने वाले पेशेवर मेडिकल प्रोटोकॉल पर गुमराह करने वाली रिपोर्टों को फैला रहा है. उन्होंने कहा कि सिविल अस्पताल में धर्म के आधार पर मरीजों को अलग नहीं किया जा रहा है और इस बाबत गुजरात सरकार ने सफाई दी है.देश में कोरोना से 400 से अधिक लोगों की मौत, 12 हज़ार पहुंचा संक्रमितों का आंकड़ा अपने बयान में आगे श्रीवास्तव ने कहा कि यूएससीआईआरएफ को कोरोना वायरस महामारी से निपटने के भारत के राष्ट्रीय लक्ष्य को धार्मिक रंग देना बंद करना चाहिए. इससे पहले अमेरिकी आयोग ने ट्वीट किया था कि वह इन खबरों को लेकर चिंतित है कि अस्पताल में हिंदू और मुस्लिम मरीजों को अलग किया जा रहा है. अमेरिका के बाद अब UAE ने मांगी हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन, भारत कर रहा विचार कोरोना को हारने के लिए मोदी सरकार ने बनाया नया प्लान, तीन जोन में बांटा देश कोरोना का शिकार हुई माँ, अब नर्स रख रही तीन माह की बच्ची का ध्यान