एससी/एसटी एक्ट में बदलाव के खिलाफ दलित संगठनों ने सोमवार को भारत बंद का आयोजन किया जिसमे जमकर हिंसा, रेल रोको, आगजनी और पत्थरबाजी की घटनाएं हुईं. हिंसा में बदले इस विरोध प्रदर्शन में कुल 11 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी और करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हो गया. स्थिति पर नियंत्रण के लिए बड़ी संख्या में पुलिस ने उपद्रवियों को हिरासत में लिया है. भारत बंद के आह्वान पर देश के उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और उत्तराखंड समेत कई राज्यों में तोड़फोड़, जाम और आगजनी की घटनाएं हुईं. कानून व्यवस्था और शांति बहाली के लिए प्रशासन लगातार कोशिश में जुटा है. इस बीच बिहार में 3,619, यूपी में 448 और झारखंड में 15 सौ से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है. कई शहरों में इंटरनेट पर बैन लगा दिया गया है. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने हिंसक घटनाओं पर कई ट्वीट्स जारी कर चिंता जताई. उन्होंने कहा, 'SC-ST एक्ट से जुड़े विरोध प्रदर्शनों के दौरान देश के कुछ हिस्सों में हिंसक घटनाओं के होने और लोगों की हुई मौत से बेहद आहत हूं.' दूसरी ओर, बीएसपी सुप्रीमो मायावती और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्थिति बिगड़ने के लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा. देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को SC/ST एक्ट के तहत तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी और गिरफ्तारी के लिए डीएसपी स्तर के अधिकारी की मंजूरी जरूरी कर दी थी. हालांकि, केंद्र ने हिंसक प्रदर्शनों के बीच सरकार ने SC/ST एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दिया. हिंसा का सबसे ज्यादा शिकार मध्य प्रदेश हुआ जहां 7 लोगों की मौत हो गई. मुरैना में 3 और ग्वालियर में 2 लोगों की मौत हुई है. वहीं, देवरा और भिंड में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई. ग्वालियर में मौत के बाद पूरे शहर में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं जबकि सागर और ग्वालियर में दलितों के प्रदर्शन के बाद धारा 144 लागू कर दी गई है. एससी-एसटी एक्ट : समाज के लोगोँ ने नेशनल हाईवे किया जाम यूपी के कई शहरों में हिंसक हुआ 'भारत बंद' SC/ST एक्ट की आग में पहली जिंदगी मुरैना में झुलसी, युवक की मौत