अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की सरकार आने पर भारत को फायदा या नुकसान?

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव का काउंटडाउन लगभग पूरा हो चुका है। रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस के बीच मुकाबला अंतिम चरण में है। अगर ट्रंप जीतते हैं, तो इसका भारत पर भी व्यापक प्रभाव पड़ेगा, जो राजनीतिक, आर्थिक, और सुरक्षा क्षेत्र तक फैला हुआ है।

अमेरिका-भारत संबंधों पर ट्रंप का दृष्टिकोण डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई है। उन्होंने दिवाली के अवसर पर सोशल मीडिया साइट X पर पोस्ट करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना "मित्र" कहा और अपनी सरकार बनने पर भारत-अमेरिका साझेदारी को और गहरा करने का वादा किया। ट्रंप की भारत के प्रति सकारात्मक सोच दोनों देशों के बीच आर्थिक और सामरिक सहयोग में सुधार की संभावनाओं को बढ़ाती है।

हाल ही में, ट्रंप ने बांग्लादेश में हुए तख्तापलट और उसके बाद हिंदू और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की कड़ी निंदा की है। विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार, तख्तापलट के बाद सैकड़ों हिंदुओं को जानलेवा हमलों का सामना करना पड़ा। ट्रंप का यह रुख दक्षिण एशिया में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर उनकी संवेदनशीलता को दर्शाता है, जो भारत के हितों के अनुकूल हो सकता है।

मोदी-ट्रंप की केमिस्ट्री डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच घनिष्ठ संबंध ने भारत-अमेरिका संबंधों में नई जान डाली है। यह संबंध सार्वजनिक रूप से भी प्रदर्शित हुआ, जैसे 2019 में टेक्सास में आयोजित "हाउडी, मोदी!" रैली में, जहां ट्रंप ने करीब 50,000 लोगों के सामने प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत किया था। यह अमेरिका में किसी भी विदेशी नेता के लिए अब तक की सबसे बड़ी सभाओं में से एक थी। इसके बदले में, 2020 में भारत में नरेंद्र मोदी ने दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम में ट्रंप का जोरदार स्वागत किया, जिसमें 1 लाख 20 हजार से अधिक लोग मौजूद थे। दोनों नेताओं का यह तालमेल सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं है; दोनों नेताओं के 'इंडिया फ़र्स्ट' और 'अमेरिका फर्स्ट' के विचार भी आपस में मिलते हैं, जिसमें घरेलू विकास, आर्थिक राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाती है।

आर्थिक और व्यापारिक नीतियां ट्रंप का प्रशासन अमेरिका-केंद्रित व्यापार नीतियों को बढ़ावा देने का इरादा रखता है। उनकी नीति भारत पर व्यापारिक बाधाओं को कम करने और टैरिफ कम करने के लिए दबाव बनाने की होगी, जो भारत के आईटी, फार्मास्यूटिकल्स, और टेक्सटाइल उद्योगों के निर्यात पर असर डाल सकती है। ट्रंप ने सितंबर में भारत को "टैरिफ का दुरुपयोग करने वाला" देश बताया था, हालांकि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा भी की थी। फ्लिंट, मिशिगन में एक टाउन हॉल में, ट्रंप ने कहा था कि आयात शुल्क के मामले में भारत बेहद सख्त है, और यह अमेरिका के व्यापार के लिए चुनौती पेश करता है।

ट्रंप की नीति चीन से अमेरिकी सप्लाई चेन को हटाने की भी है, जो भारत के लिए सकारात्मक हो सकती है। अगर ट्रंप प्रशासन अमेरिकी कंपनियों को चीन पर निर्भरता कम करने को प्रोत्साहित करता है, तो भारत अनुकूल नीतियों के साथ अधिक अमेरिकी कंपनियों को आकर्षित कर सकता है, जिससे भारत की आर्थिक संभावनाओं को बढ़ावा मिल सकता है। हालांकि, भारत पर भी अपने आयात शुल्क को कम करने का दबाव रहेगा।

रक्षा और सुरक्षा चीन को लेकर ट्रंप और भारत की चिंताएं मिलती-जुलती हैं। ट्रंप प्रशासन के दौरान भारत और अमेरिका के बीच रक्षा संबंध और मजबूत हो सकते हैं। पिछले कार्यकाल में ट्रंप ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए अमेरिका, भारत, जापान, और ऑस्ट्रेलिया के बीच सुरक्षा साझेदारी को मजबूत किया था, जिसे "क्वाड" कहा जाता है। ट्रंप प्रशासन में भारत-अमेरिका सैन्य सहयोग, हथियारों की बिक्री, और तकनीकी हस्तांतरण से भारत की रक्षा क्षमता को और मजबूती मिल सकती है।

भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते संयुक्त सैन्य अभ्यासों से भारत को सीमा सुरक्षा के लिहाज से फायदा होगा, खासकर चीन और पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के मद्देनजर। यदि ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बनते हैं, तो वे भारत की सुरक्षा चुनौतियों के प्रति सहयोगी रवैया अपना सकते हैं।

इमिग्रेशन और H-1B वीजा नीतियां इमिग्रेशन को लेकर ट्रंप का सख्त रुख भारतीय पेशेवरों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। उनके प्रशासन के दौरान H-1B वीजा प्रोग्राम पर सख्त नीतियों के कारण भारतीय प्रोफेशनल्स को अमेरिका में नौकरी पाना कठिन हो गया था। यदि ट्रंप की इमिग्रेशन नीतियां दोबारा लागू होती हैं, तो भारतीय श्रमिकों के लिए अमेरिका में काम करना मुश्किल हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप भारतीय तकनीकी कंपनियां अन्य बाजारों में अवसर खोजने या घरेलू बाजार में अधिक अवसर पैदा करने की दिशा में आगे बढ़ सकती हैं।

भू-राजनीतिक प्रभाव दक्षिण एशिया में ट्रंप की नीतियां भारत के क्षेत्रीय हितों को भी प्रभावित कर सकती हैं। ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ काम करने की इच्छा जताई है, लेकिन आतंकवाद के खिलाफ जवाबदेही पर भी जोर दिया है। ट्रंप के पिछले कार्यकाल में पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य सहायता में कटौती की गई थी, जो भारत के लिए सकारात्मक साबित हुई थी। ट्रंप का "ताकत के जरिए शांति" का दृष्टिकोण अमेरिका की आतंकवाद और उग्रवाद पर कड़ी नीति की ओर इशारा करता है, जो भारत के हित में हो सकती है।

चुनावी स्थिति: ट्रंप की बढ़त इस समय डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में बढ़त बनाए हुए हैं और 230 इलेक्टोरल कॉलेज वोट हासिल कर चुके हैं। उन्हें बहुमत के लिए 40 वोटों की आवश्यकता है, जबकि कमला हैरिस 205 वोटों के साथ पीछे हैं। न्यू मैक्सिको में जीत हासिल करने के बावजूद, कमला हैरिस ट्रंप से पिछड़ रही हैं। अमेरिका में सात प्रमुख "स्विंग स्टेट्स" हैं, जिनमें से पांच में ट्रंप ने बढ़त बना ली है। सिर्फ दो राज्यों के परिणाम आने बाकी हैं, लेकिन इन राज्यों में भी ट्रंप की स्थिति मजबूत मानी जा रही है।

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