नई दिल्ली: कोरोना के कारण देश की कई चीजों में बदलाव आया है वही देश में पेट्रोल-डीजल के दामों को नियंत्रण में लाने तथा सऊदी अरब के मनमाने ढंग से कच्चे तेल की कीमतें ऊंची बनाए रखने से बचाव के लिए सरकार अमेरिका तथा अफ्रीका से क्रूड ऑयल की खरीद बढ़ाएगी। भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आायातक है। मोदी सरकार ने सऊदी अरब से कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने की अपील की थी, जिससे इसकी मांग में कमी लाई जा सके तथा कीमतें नीचे आ सकें। इससे पूर्व पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने बताया था कि कच्चे तेल के बढ़ते दाम विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था के लिए कोरोना के पश्चात् के हालातों से उबरने में बाधक हैं। वही इस पर सऊदी अरब के पेट्रोलियम मंत्री प्रिंस अब्दुलअज़ीज़ बिन सलमान ने भारत को सलाह दी थी कि भारत को 2020 में दाम गिरने के चलते क्रय किए गए कच्चे तेल के स्टॉक का इस्तेमाल करना चाहिए। प्रधान ने उनके इस उत्तर को ‘अनडिप्लोमेटिक’ बताया था। इस मध्य सरकार ने पब्लिक सेक्टर की तेल कंपनियों को अमेरिका तथा अफ्रीका से कच्चे तेल की खरीद बढ़ाने के लिए कहा है तथा सऊदी अरब पर कच्चे तेल की निर्भरता को एक तिहाई तक कम करने के लिए बोला है। सरकारी तेल कंपनियों से संबंधित सूत्रों के अनुसार, कंपनियां प्रत्येक माह सऊदी अरब को औसतन 1।48 करोड़ बैरल कच्चे तेल का ऑर्डर देती हैं। किन्तु इस बार मई के लिए 95 लाख बैरल का ही ऑर्डर दिया गया है। सूत्रों के अनुसार, सऊदी अरब से तेल आयात में कटौती के पश्चात् भारत में होने वाली कमी को पूरा करने के लिए ब्राजील से टुपी ग्रेड, गुएना से लिजा तथा नॉर्वे से जोहन स्वेरड्रप कच्चा तेल लाने की संभावना पर भी चर्चा हो रही है। राजेश टोपे का केंद्र पर आरोप, कहा- वैक्सीन सप्लाई में भेदभाव कर रही मोदी सरकार कोरोना वैक्सीन की कमी के कारण इस राज्य में बंद हुए 700 केंद्र बंगाल चुनाव: शिशिर अधिकारी बनेंगे गवर्नर ! भाजपा खेल सकती है मास्टर स्ट्रोक