नई दिल्ली: विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने दुनिया को भारत की तरफ से एक स्पष्ट सन्देश दिया है। उन्होंने कहा है कि भारत अपने राष्ट्रीय हित और वैश्विक भलाई के लिए जो भी सही होगा, वही करेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत कभी भी किसी को अपने फैसलों पर वीटो लगाने की इजाजत नहीं देगा। जयशंकर ने जोर देकर कहा कि भारत बिना किसी डर के अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करेगा। यह बयान जयशंकर ने मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान दिया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता और तटस्थता को एक-दूसरे का पर्याय नहीं समझा जाना चाहिए। उनके अनुसार, भारत की प्राथमिकता अपने हितों और वैश्विक कल्याण के बीच संतुलन बनाए रखना है। जयशंकर ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि भारत को प्रगति और आधुनिकता के रास्ते पर आगे बढ़ना चाहिए, लेकिन ऐसा करते समय उसे अपनी संस्कृति और परंपराओं को नहीं छोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीयता को बनाए रखते हुए विकास करना ही देश को एक अग्रणी शक्ति के रूप में उभरने में मदद करेगा। उनके मुताबिक, आज के वैश्वीकरण के दौर में तकनीक और परंपरा को साथ-साथ चलना होगा। भारत की सभ्यता और सांस्कृतिक ताकत ही उसे वैश्विक मंच पर मजबूत पहचान दिला सकती है। जयशंकर ने भारत को एक असाधारण राष्ट्र बताया, जिसकी जड़ें एक पुरानी सभ्यता में फैली हुई हैं। उन्होंने कहा कि भारत को अपनी सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिक मूल्यों का पूरा लाभ उठाना होगा ताकि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभावशाली भूमिका निभा सके। इस कार्यक्रम में जयशंकर को 27वें SIES श्री चंद्रशेखरेन्द्र सरस्वती राष्ट्रीय उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार सार्वजनिक नेतृत्व, सामुदायिक विकास, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, मानव प्रयास और सामाजिक नेतृत्व जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्यों के लिए दिया जाता है। हालांकि जयशंकर इस कार्यक्रम में खुद शामिल नहीं हो सके, लेकिन उन्होंने वीडियो संदेश के माध्यम से अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि जब भारत वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान को मजबूत करता है, तो उसके दूरगामी परिणाम देखने को मिलते हैं। जयशंकर के 'वीटो' वाले बयान का खास संदर्भ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) से जुड़ा है। वर्तमान में UNSC के पांच स्थायी सदस्य - चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका किसी भी फैसले पर वीटो का अधिकार रखते हैं। इसके अलावा, परिषद में 10 अस्थायी सदस्य होते हैं, जिन्हें दो साल के लिए चुना जाता है, लेकिन उनके पास वीटो का अधिकार नहीं होता। भारत लंबे समय से UNSC में सुधार की मांग कर रहा है। भारत का मानना है कि 21वीं सदी में 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद दुनिया की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। इसलिए इसके स्थायी और अस्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देश भी सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन कर चुके हैं। भारत का यह तर्क है कि एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति के रूप में उसे निर्णय लेने में बड़ी भूमिका निभाने का अधिकार मिलना चाहिए। छत्तीसगढ़ में भीषण सड़क हादसा, मालवाहक वाहन पलटने से 5 लोगों की दुखद मौत, कई घायल सुप्रीम कोर्ट कह चुका कि केजरीवाल को CM बनने का कोई अधिकार नही- कांग्रेस अकेले कानपुर में हड़पे जा चुके 100+ मंदिर..! कहीं बन रही बिरयानी, तो कोई बन गया कूड़ाघर