नई दिल्ली: अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में आज पूरा विश्व भारत का लोहा मानता है। प्रति वर्ष ISRO अपने देश के साथ ही अन्य देशों के भी उपग्रह लॉन्च करता है। अब ISRO सूर्य के संबंध में जानकारी एकत्रित करने के लिए बड़े अभियान की तैयारी कर रहा है। इसके अलावा चांद का मिशन पूरा करने के लिए चंद्रयान-3 की भी तैयारी जारी है। 108वीं साइंस कांग्रेस में प्लेनरी सेशन के दौरान अंतरिक्ष में भारत की क्षमता और आगे की योजना पर चर्चा की गई। इस सेशन का नेतृत्व ISRO चेयरमैन एस सोमनाथ कर रहे थे। रिपोर्ट के अनुसार, फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस के डायरेक्टर अनिल भारद्वाज ने भारत के प्लैनेटरी मिशन की बात करते हुए कहा कि 1963 से ही भारत ने अंतरिक्ष में अपना अभियान आरंभ कर दिया था। सबसे पहले थुंबा से रॉकेट लॉन्च की गई थी। 4 दशक के बाद भारत ने 2008 में चंद्रयान -1 मिशन आरंभ किया। इसके बाद अगला मिशन था मंगलयान। इसे 2013 में लॉन्च किया गया था जो कि 2014 में मंगल पर पहुंच गया था। अब चंद्रयान-2 अभियान चल रहा है। उन्होंने बताया है कि चंद्रयान-1 का ऑर्बिटर अब भी अच्छी तरह से काम कर रहा है और हमें बेहद अहम जानकारी भेज रहा है। बता दें कि, सूर्य का अध्ययन करने के लिए अगले साल ISRO आदित्य-L1 लॉन्च करने जा रहा है। इसके अलावा चंद्रयान-3 लैंडर रोवर मिशन भी लॉन्च किया जाएगा। इसके साथ ही भविष्य के लिए अन्य प्लैनेटरी अभियानों की भी तैयारी जारी है। ISRO के साइंटफिक सेक्रटरी शांतनु भाटवडेकर ने बताया कि, अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीक इंसानियत के विकास के लिए होती है। इसका मकसद मानव जीवन को बेहतर बनाना होता है। भारत के पहले एक्सपेरिमेंटल अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटलाइट भास्कर (1979) के बाद से ISRO कई सैटलाइट मिशन लॉन्च कर चुका है। 1996 से फरार एजाज अहमद अहंगर को केंद्र सरकार ने घोषित किया 'आतंकी' गुवाहाटी एयरपोर्ट पर अमित शाह के विमान की इमरजेंसी लैंडिंग, जा रहे थे अगरतला उत्तर भारत पर अगले 2 दिन भारी, कड़ाके की ठंड को लेकर रेड अलर्ट जारी