नई दिल्ली : चीन और भारत के बीच तनाव का माहौल जारी है. चीन भारत को लगातार युद्ध की धमकी दे रहा है और अपने वन बेल्ट वन रोड परियोजना के जरिये दुनिया में अपना दबदबा रखना चाहता है. भारत ने चीन की चालों से निपटने के लिए सासेक परियोजना के हथियार को इस्तेमाल करने की तैयारी में है. गौरतलब है कि सासेक का पूरा नाम साउथ एशियन सब रिजनल इकोनॉमिक को-ऑपरेशन है. इस परियोजना को भारत ने कई वर्ष पहले भूटान, नेपाल, बांग्लादेश व म्यांमार को जोड़ने के लिए की थी. बता दें कि इस अहम परियोजना के लिए 1630.29 करोड़ जारी किए गए हैं. इस परियोजना के अंतर्गत मणिपुर के इम्फाल-मोरेह को जोड़ेगा. पूर्वी एशियाई देश के बाजार में अपने पांव जमाने के लिए भारत के लिए यह मार्ग बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है. भारत इस मार्ग के जरिए पूर्वी एशियाई बाजारों को पूर्वोत्तर राज्यों से जोड़ने की दिशा में आगे बाढ़ सकता है. यही नहीं भारत बैंकाक में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकता है .इस निर्माण से भारत को दोहरा लाभ होगा. एक तो पड़ोसी देशों के बीच संबंध मजबूत होंगे और दूसरा भारत विकास की तरफ तेजी से आगे बढ़ेगा. आपको जानकारी दे दें कि दक्षिण एशियाई देशों के बीच सड़क संपर्क और व्यापार को ध्यान में रखते हुए सार्क देश यानी बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल ने 1996 में साउथ एशियन ग्रोथ क्वाड्रएंगल(SAGQ) का गठन किया था. जिसका उद्देश्य पर्यावरण, ऊर्जा, व्यापार जैसे सभी क्षेत्रों को बढ़ावा देना था. इस संगठन को 1997 में औपचारिक मान्यता मिली .एसएजीक्यू ने आर्थिक मजबूती के लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक से क्षेत्रीय स्तर पर मदद मांगी है.बता दें कि 2001 में सासेक की स्थापना हुई. बाद में वर्ष 2014में मालदीव और श्रीलंका भी इसके सदस्य बन गए. जबकि 2017 में म्यांमार 2017 में इसका सदस्य बना. यह भी देखें चीन भारत के विवाद को लेकर विदेश मंत्री ने बुलाई सर्वदलीय बैठक सीमा क्षेत्र में चीन व पाकिस्तान की हलचल बढ़ने से भारत खरीदेगा 40 हजार करोड़ रूपए के साजो सामान