नई दिल्ली: भारतीय वायु सेना (IAF) ने हैदराबाद के बेगमपेट वायु सेना स्टेशन पर हथियार प्रणाली स्कूल (WSS) का उद्घाटन किया है। इस नए स्कूल का उद्देश्य भारतीय वायुसेना को भविष्य के लिए तैयार बल में बदलना और उसका पुनर्मूल्यांकन करना है। उद्घाटन समारोह का नेतृत्व IAF प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने किया। इस प्रशिक्षण स्कूल की स्थापना भारतीय वायुसेना के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। अधिकारियों के अनुसार, WSS सशस्त्र बलों, विशेष रूप से वायु सेना के लिए एक "विशाल छलांग" का प्रतिनिधित्व करता है। यह पहल 2022 में भारतीय वायुसेना में अधिकारियों की एक नई शाखा, हथियार प्रणाली (WS) शाखा की मंजूरी के बाद की गई है। डब्ल्यूएसएस नवगठित डब्ल्यूएस शाखा के अधिकारियों को भारतीय वायुसेना की आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार करने के लिए समकालीन, प्रभाव-आधारित प्रशिक्षण प्रदान करेगा। एयर चीफ मार्शल चौधरी ने इस बात पर जोर दिया कि यह नई शाखा जमीनी और विशेषज्ञ हथियार प्रणालियों के संचालकों को एक छतरी के नीचे लाएगी, जिससे भारतीय वायुसेना की युद्ध क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। WS शाखा में चार धाराएँ शामिल हैं: फ्लाइंग स्ट्रीम: सुखोई-30 एमकेआई और सी-130जे जैसे हवाई प्लेटफार्मों पर हथियारों और प्रणालियों का संचालन करता है। रिमोट स्ट्रीम: दूर से संचालित विमान का संचालन करता है। मिशन कमांडर और ऑपरेटर: सतह से हवा और सतह से सतह पर मार करने वाली हथियार प्रणालियों का प्रबंधन करते हैं। खुफिया स्ट्रीम: अंतरिक्ष-आधारित खुफिया जानकारी और इमेजरी को संभालता है। एयर चीफ मार्शल चौधरी ने इस नवगठित शाखा के अग्रदूतों के रूप में प्रशिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने उन्हें परिकल्पित प्रशिक्षण व्यवस्था को बनाए रखने और निर्णायक हवाई शक्ति प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने WSS के संस्थापक सदस्यों की भी सराहना की और सभी कर्मियों से भारत में हथियार प्रणालियों के प्रशिक्षण के लिए स्कूल को एक नोडल केंद्र के रूप में स्थापित करने का आग्रह किया। डब्ल्यूएस शाखा के निर्माण की घोषणा सबसे पहले 8 अक्टूबर 2022 को वायु सेना दिवस परेड समारोह के दौरान की गई थी। इंग्लैंड में बैठकर भड़काई जा रही मणिपुर में हिंसा ! कुकी-मैतेई को लड़वाने वाले प्रोफेसर उदय रेड्डी पर FIR हाथरस में सत्संग के दौरान मची भगदड़, करीब 40 की मौत, 100 से अधिक घायल हिन्दू हिंसक तो चल गया, लेकिन इस्लाम में 'अभय मुद्रा' नहीं चली ! राहुल गांधी पर क्यों भड़के अजमेर दरगाह के चिश्ती ?