यात्री बढ़े फिर भी घाटे में पहुंची भारतीय विमानन सेवाएँ

नई दिल्ली : जेट फ्यूल की बढ़ी कीमतें, मुनाफे में कमी और वित्तीय परेशानी जैसे विपरीत परिस्थितियों के बावजूद देश के नागरिक विमानन क्षेत्र में साल 2018 में अच्छी बढ़ोतरी दर्ज की गई। उच्च ईंधन कीमतों और उच्च प्रतिस्पर्धा के चलते किराया कम रखने के कारण, एयरलाइनों के मुनाफे में गिरावट, डॉलर के खिलाफ रुपये के गिरने और उच्च ब्याज दरों के कारण और अधिक बढ़ गई। 

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विमानन कंपनियां प्रभावित

टरबाइन फ्यूल में जनवरी-दिसंबर 2018 में साल-दर-साल आधार पर 27 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि इसी अवधि में रुपया डॉलर के खिलाफ औसतन 5 फीसदी गिर गया।  उद्योग विशेषयज्ञों की माने तो ईधन कीमतों में वृद्धि से भारतीय विमानन कंपनियां खासतौर से प्रभावित होते हैं, क्योंकि इस मद में उनके परिचालन खर्च का 34 फीसदी तक खर्च होता है, जबकि वैश्विक औसत 24 फीसदी है। 

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नकारात्मक दी रेटिंग 

जानकारी के मुताबिक एक रेटिंग एजेंसी ने इस उद्योग को नकारात्मक रेटिंग दी है। एजेंसी के उपाध्यक्ष की माने तो, "चालू वित्त वर्ष में भारतीय विमानन उद्योग एटीएफ की बढ़ती कीमतें और डॉलर के खिलाफ रुपये के गिरने के कारण कठिन समय से जूझ रहा है। साथ ही प्रतिस्पर्धा के कारण किराया बढ़ाने में असमर्थता के कारण उद्योग का नुकसान बढ़ा है।

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