एक हाथ से अजित सिंह ने रच दिया इतिहास, बीजिंग के जैवलिन थ्रो में जीता गोल्ड मेडल

नई दिल्ली: "कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो" इन पंक्तियों को बखूबी चरितार्थ किया है भारतीय खिलाड़ी अजीत सिंह ने. 2017 में एक रेल हादसे में उन्होंने अपना हाथ गँवा दिया, लेकिन उसके बाद भी उनका अपने खेल के प्रति जज्बा जरा भी कम नहीं हुआ और हादसे के केवल डेढ़ वर्ष बाद उन्होंने वह कर दिखाया जो किसी सामान्य खिलाड़ी के लिए भी बेहद कठिन हो सकता है.

हाल ही में चीन के बीजिंग में आयोजित की गई पैरा एथलेटिक्स ग्रेंड प्रिक्स प्रतियोगिता में ग्वालियर के अजीत सिंह ने जैवलिन थ्रो इवेंट में स्वर्ण पदक जीत कर इतिहास रच डाला है. यह पहला अवसर है जब मध्य प्रदेश के किसी खिलाड़ी ने पैरा एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक जीता हो.अजीत सिंह की मानें तो यह गोल्ड लाना उनके लिए बेहद कठिन था, किन्तु जरूरी भी था. सीनियर्स का सहयोग और दोस्तों के प्रेम की वजह से यह संभव हो सका है.दरअसल, ग्वालियर के रहने वाले अजीत सिंह शुरुआत से ही खेल में रहे, उन्होंने ग्वालियर के एल एन आई पी ई से बीपीएड बाद में एमपीएड किया और इसके बाद वे नौकरी की खोज में लग गए, किन्तु 4 दिसंबर 2017 को जब वह अपने दोस्त के विवाह से लौट रहे थे, उसी वक़्त उनके साथ एक रेल हादसा हो गया जिसमें अपना एक हाथ खोना पड़ा. करीब एक वर्ष तक वो रिकवरी करने के लिए अपने घर पर आराम करते रहे.

इस दौरान उनके दिमाग में बस यही बात चल रही थी कि आखिर एक हाथ से वह कैसे अपने देश के लिए स्वर्ण जीत सकते हैं. उन्होंने अपने कॉलेज आकर अपने सीनियर से चर्चा की और कहा कि वह पैरा ओलंपिक एथलीट्स में भाग लेना चाहते हैं. पहले तो सभी को उनकी बात पर हैरानी हुई, किन्तु वे सभी ने उनकी सहायता करने की ठान ली. अजीत सिंह खुद बताते हैं सुबह और शाम तीन-तीन घंटे कड़ी मशक्कत के बाद उनका चीन में होने वाली इस प्रतियोगिता के लिए चुनाव किया गया. जहां विभिन्न देशों के प्रतिभागियों के बीच उन्होंने भारत के लिए स्वर्ण जीता है.

इन दो दिग्गजों ने बनाया पृथ्वी शॉ को मानसिक रूप से मजबूत

राहुल द्रविड़ ने बताई क्या है, विश्व कप में भारतीय टीम की सबसे बड़ी ताकत

इंग्लैंड में इनसे गेंदबाजी के गुर सीखेंगे नवदीप सैनी

Related News