नई दिल्ली : भारतीय सेना अपने कर्मचारियों की संख्या कम करने पर विचार कर रही है। नॉन कॉम्बेट सेक्शन के तहत की जाने वाली इस छंटनी के लिए सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने एक टीम बनाई है, जो इस संबंध में अध्ययन में लगी हुई है। इस फैसले के पीछे सेना पर होने वाले खर्चे को कम करना और एक सही आकार देना है। आर्मी प्रमुख ने अपने एक सीनियर को इस पर अगस्त तक अपनी सिफारिशें देने को कहा है। अगले तीन माह में स्टाफ को कम करने के लिए रोडमैप तैयार कर लिया जाएगा। रिटायर्ड जनरल फ्लिप कैम्पोस का कहना है कि नॉन कॉम्बेट और कॉम्बेट स्टाफ के अनुपात को समझना और उसे सेट करना आसान काम नहं है। वर्तमान समय में भारतीय सेना में 10.2 लाख कर्मचारी है। जब कि सेना में 49,631 ऑफिसर होने चाहिए, जिसमें 9,106 ऑफिसरों की कमी है। जनरल कम्पोस ने बताया कि एक डिवीजन में 14 हजार जवान होते है और उनकी सपोर्ट के लिए 3 हजार लॉजिस्टिक स्टाफ होते है। उनका कहना है कि इस स्टडी में इस बात पर भी फोकस किया जाएगा कि लॉजिस्टिक सपोर्ट को कम करके कॉम्बेट फोर्स के लिए इसका बेहतर इस्तेमाल कैसे किया जाए। भारतीय सेना दुनिया की सबसे बड़ी आर्मी है। 2005 से 2013 तक के बीच के आंकड़ो पर गौर करे तो सेना में 14000 नौकरियां पहले ही कम की जा चुकी है।