नई दिल्ली: अपनी प्रमुख आधुनिकीकरण योजना के हिस्से के रूप में, भारतीय सेना जल्द ही 750 मिलियन डॉलर (6500 करोड़) के सौदे के तहत 400 नए हॉवित्जर, एक तोपखाना हथियार खरीदने के लिए निविदा जारी करेगी। इसके लिए सेना पूरी तरह से भारतीय कंपनियों पर निर्भर रहेगी। स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित (IDDM) श्रेणी के हिस्से के रूप में तोपखाने खरीदने के लिए एक प्रस्ताव लाया गया है। शीर्ष रक्षा सूत्रों का कहना है कि इस खरीद से इस क्षेत्र में घरेलू कंपनियों को बड़ा बढ़ावा मिलेगा। पिछले दशक में, 155 मिमी हॉवित्जर तोपों की खरीद के लिए चार अनुबंध संपन्न हुए हैं। इन बंदूक प्रणालियों को पहले ही शामिल किया जा चुका है और कई रेजिमेंटों को इन हथियारों से लैस किया जा रहा है। इन बंदूक प्रणालियों में शामिल हैं - धनुष, शारंग, अल्ट्रा लाइट होवित्जर (यूएलएच) और के-9 वज्र सेल्फ प्रोपेल्ड गन। धनुष तोपें बोफोर्स तोपों का इलेक्ट्रॉनिक अपग्रेड हैं, जबकि शारंग तोपों को 130 मिमी से 155 मिमी कैलिबर तक उन्नत किया गया है। सेवन और फाइव रेजिमेंट पहले ही सेल्फ प्रोपेल्ड गन से लैस हो चुकी हैं। बता दें कि, स्वचालित प्रणालियों और असेंबलियों के साथ, 155 मिमी भविष्य में सभी तोपखाने बंदूकों का मानक कैलिबर होगा। दृष्टि प्रणाली, गोला-बारूद निर्माण, धातु विज्ञान और बंदूकों की नेटवर्किंग में नई प्रौद्योगिकियों के विकास पर जोर दिया गया है। राजनयिक तनाव के बीच 'इंडियन साइबर फोर्स' ने हैक की कनाडाई सेना की वेबसाइट अतीक अहमद गैंग का सदस्य दिल्ली से गिरफ्तार, अब्दुल सद्दाम को यूपी पुलिस ने दबोचा जम्मू और कश्मीर में लगातार बढ़ते आतंकवाद पर 'धर्मगुरु' क्यों चुप ? कर सकते हैं बड़ी मदद