नई दिल्ली: बिना पुल के नदियों, नालों और तालाबों को पार करना युद्ध क्षेत्र में बेहद कठिन कार्य माना जाता है. पुल न होने के कारण युद्ध क्षेत्र में किसी भी देश की आर्मी का काम बाधित हो सकता है. ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए शॉर्ट स्पैन ब्रिज बेहद उपयोगी साबित होते हैं. इस सिस्टम के माध्यम से अस्थाई पुल फटाफट बनकर तैयार होते हैं और सेनाएं अपनी मंजिलों तक पहुंच जाती हैं. इंडियन आर्मी के पास भी अब शॉर्ट स्पैन ब्रिज का विकल्प है. बता दें कि इंडियन आर्मी के पास जल्द ही इनमें से 100 सिस्टम होंगे, जो भारी टैंकों और पैदल सेना के लड़ाकू वाहनों का भार वहन कर सकते हैं. ऐसे सिस्टम पानी के कारण आने वाली बाधाओं को आसानी से पार कर सकते हैं. पहले ऐसे हालातों से निपटने के लिए जिस सिस्टम का सहारा लेना पड़ता था, उसमें 30 से 40 लोगों के मदद की आवश्यकता पड़ती है, जो मिलकर अस्थाई ब्रिज बनाते थे. किन्तु नए शॉर्ट स्पैन ब्रिज सिस्टम के जरिए सिर्फ 8 से 10 मिनट में ब्रिज तैयार भी हो जाएगा और इसके लिए अधिक लोगों की जरूरत भी नहीं है. इसे महज 4 लोग बेहद कम समय में तैयार कर सकते हैं. इंडियन आर्मी चीफ मनोज मुकुंद नरवणे की उपस्थिति में दिल्ली में कोर ऑफ इंजीनियर्स को 12 स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित शॉर्ट स्पैन ब्रिजिंग सिस्टम के पहले बैच को दिया गया है. नरवणे ने आगे कहा कि, 'इससे हमारी क्षमताएं बढ़ेंगी. हमारे पास पहले से ही 5 मीटर और 15 मीटर के पुल थे, किन्तु 10 मीटर की भी आवश्यकता थी. इससे पश्चिमी सीमाओं के मशीन्ड फॉर्मेशन में तेजी आएगी.' इस सिस्टम को DRDO ने विकसित किया है और लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड ने इसकी मैन्युफैक्चरिंग की है. UPSC NDA और NA के परीक्षा परिणाम हुए जारी अब क्या करेंगी ममता बनर्जी ? 'बंगाल हिंसा' पर कोलकाता हाई कोर्ट ने दिया बड़ा आदेश सरकार ने आईटी हार्डवेयर के लिए पीएलआई योजना के तहत 14 योग्य आवेदकों को दी मंजूरी