जालन्धर : क्रिकेट की दुनिया अचरच ,आश्चर्य ,रोचक किस्सों ओर रेकॉर्डों से भरी पड़ी है. खेल ओर खिलाड़ियों से जुड़े असंख्य किस्से क्रिकेट की दुनिया में मौजूद है. आज हम बात कर रहे है रामेश चंद्र गंगाराम बापू नंदकरणी के बारे में . ये गुमनाम सा नाम भारतीय क्रिकेट में सबसे कंजूस गेंदबाजों के तौर पर जाना जाता है. जानिए उनके मैदानी सफर को - 41 टैस्ट मैच में नंदकरणी ने 9165 गेंदें डाली. करियर में 1.67 रन प्रति ओवर दिए. टैस्ट क्रिकेट में 88 तो फस्र्ट क्लास क्रिकेट में 500 विकेट दर्ज है. 1964 में इंडिया और इंग्लैंड के बीच टैस्ट मैच में लगातार 21 ओवर मेडन फेंकने का रिकॉर्ड. अपनी 32 ओवर के स्पैल के दौरान नंदकरणी ने 27 मेडन फेंके. बाकि 5 ओवर में भी 5 ही रन दिए. 41 टैस्ट मैच में करीब 26 की औसत से 1414 रन बनाए, इसमें एक शतक शामिल. जबकि फस्र्ट क्लास क्रिकेट के 191 मैचों में उन्होंने लगभग 40 की औसत से 8880 रन बनाए. इनमें 14 शतक और 46 अद्र्धशतक. कहते हैं- नैट पर प्रैक्टिस के दौरान वह पिच पर एक सिक्का रख देते थे. फिर उसी सिक्के के हिसाब से बॉलिंग करते थे. ऐसा करते वक्त उनकी ज्यादातर गेंदें सिक्के पर ही गिरती थीं. आंकड़ें बताते हैं कि जब एक ओवर में 4 गेंदें फेंकी जाती थी तो यह रिकॉर्ड एल्फर्ड शॉ के नाम पर था. 1876 में नॉटिन्घम में खेले गए मैच के दौरान नॉर्थ टीम से खेलते शॉ ने साऊथ के विरोध लगातार 23 मेडल फेंके थे. जब 5 गेंदों का ओवर हुआ तो यह रिकॉर्ड 1897 में इर्रनी रॉबसन के नाम दर्ज हो गया. उन्होंने लगातार 10 मेडन फेंके थे. 6 गेंदों के ओवर में नंदकरणी ने रिकॉर्ड बनाया. 1956-57 के दौर में जब एक ओवर में 8 गेंदें फेंकी जाती थीं तब साऊथ अफ्रीका के लिए इंगलैंड के खिलाफ खेलते हुए डर्बन के मैदान में ह्यूग टेफील्ड ने लगातार 14 मेडन फेंके थे. टीम इंडिया में वापसी के लिए युवराज ने भरी हुंकार यहां देखें अंडर-19 वर्ल्ड कप टूर्नामेंट का पूरा शेड्यूल साउथ अफ्रीका में खिलाड़ियों के नहाने पर पाबन्दी