नई दिल्ली: यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद वहां विभिन्न शहरों में फंसे भारतीय छात्रों को निकालने की कवायद शुरू कर दी गई है। भारत से एअर इंडिया की 2 फ्लाइट से आज देर रात रेस्क्यू आरंभ होगा। छात्रों को हंगरी, पोलैंड और रोमानिया के जरिए भारत लाया जाएगा। एम्बेसी ने छात्रों से अपना पासपोर्ट साथ लाने के लिए कहा है। इसके साथ ही रास्ते में अपने वाहनों पर भारतीय ध्वज लगाने के भी निर्देश दिए हैं। हालांकि रूस की बमबारी के कारण कई रास्ते बंद हो चुके हैं और कई पुल भी टूट गए हैं। यूक्रेन के लीव शहर की एक मेडिकल कॉलेज के 40 छात्र 8 किमी पैदल चलकर पोलैंड सीमा पर पहुंचे। लीव शहर पोलैंड की सरहद से 70 किमी की दूरी पर है। यहां के एक छात्र ने यह फोटो साझा की है। जिसमें ये स्टूडेंट्स एक खाली रोड के एक ओर पैदल चलते नज़र आ रहे हैं। इन्हें इनकी कॉलेज बस ने पोलैंड बॉर्डर से 8 किमी पहले उतार दिया था। वहीं, भारत आने वालों का पहला जत्था रात में सूसीवा बॉर्डर से होते हुए रोमानिया पहुंच गया है। सूसीवा से विदेश मंत्रालय की टीम उन्हें बुखारेस्ट के जरिए स्वदेश लाएगी। इससे पहले गुरुवार की रात भारतीय स्टूडेंट्स मेट्रो स्टेशन, हॉस्टलों के बंकरों और अपने फ्लैट्स में छिपे रहे। यहां सुरक्षा में तैनात मार्शल उनके मोबाइल से यूक्रेन पर हमले से जुड़े फोटो और वीडियो डिलीट करा रहे थे। बंकर में छिपे स्टूडेंट्स हनुमान चालीसा का पाठ करते भी दिखाई दिए। छात्रों का कहना है कि भारतीय एम्बेसी यदि, क्लासेज ऑनलाइन चलवाने की मांग मान लेती तो वह फंसते नहीं। हालांकि गुरुवार को एम्बेसी ने कीव हवाई अड्डे पर फंसे स्टूडेंट्स की सुध ली और उन्हें एक स्कूल बिल्डिंग में पनाह दिलाई। राजस्थान सरकार ने यूक्रेन से लौटने वालों के टिकट शुल्क की प्रतिपूर्ति की: गहलोत यूक्रेन संकट के बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने वित्तीय सहायता का आश्वासन दिया फंसे हुए भारतीयों को निकालने के लिए एयर इंडिया की उड़ान रोमानिया की राजधानी बुखारेस्ट में उतरी