अर्थव्यवस्था के लिहाज से साल 2019 खासा उतार-चढ़ाव लिए रहा। इस साल विश्व की अर्थव्यवस्था में सुस्ती का असर देश की आर्थिक वृद्धि पर देखने को मिला। हमारी अर्थव्यवस्था इस साल जीडीपी वृद्धि की रफ्तार में फिसलन, औद्योगिक उत्पादन में भारी कमी एवं साल के आखिर के दो महीनों में खुदरा महंगाई दर में बढ़ोत्तरी के कारण सुर्खियों में रही है । विश्लेषकों के मुताबिक Global Slowdown के प्रभाव एवं देश के अर्थतंत्र की ओवरहॉलिंग की वजह से इस साल अर्थव्यवस्था पर यह दबाव देखा गया है। हालांकि, धीमी वृद्धि से अगले पांच साल में देश की इकोनॉमी को 5 ट्रिलियन डॉलर का बनाने के लक्ष्य को भारी धक्का लगा है। एक्सपर्ट्स को उम्मीद है कि अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही से आर्थिक वृद्धि की रफ्तार फिर से पटरी पर आने लगेगी और टिकाऊ वृद्धि दर को हासिल करने में मदद मिलेगी। दबाव झेल रहे सेक्टर्स को सुस्ती की चपेट से बाहर निकालने के लिए सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स में कमी सहित कई महत्वपूर्ण उपाय किए। आइए जानते हैं इस साल देश की अर्थव्यवस्था से जुड़ी मुख्य घटनाएं क्या रहीं और सरकार ने किस तरह स्थिति को संभालने की लगातार कोशिश की। धीमी जीडीपी और बढ़ती महंगाई रेटिंग एजेंसी Crisil के चीफ इकोनॉमिस्ट डी के जोशी ने कहा कि इस साल जीडीपी नीचे गई है और मुद्रास्फीति ऊपर गई है। जीडीपी वृद्धि दर उम्मीद से काफी नीचे आई है। उस लिहाज से यह वर्ष काफी अनकम्फर्टेबल रहा है। आईएलएफएस संकट के कारण अर्थव्यवस्था की हालत और कमजोर हुई है। फाइनेंशियल सेक्टर को 'लाइफब्लड' बोला जाता है। उन्होंने कहा कि फाइनेंशियल सेक्टर को रिकवर होने के साथ ही रिकवरी शुरू हो पाएगी। रिकवरी बहुत धीमी होगी। इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन अभी निगेटिव है, इम्पोर्ट निगेटिव है। हालांकि, रिकवरी होती दिख रही है। कॉरपोरेट टैक्स में कमी का असर बहुत जल्द देखने को नहीं मिलेगी। अब तक जीडीपी वृद्धि की रफ्तार वर्ष की पहली तिमाही यानी जनवरी-मार्च यानी कि वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में जीडीपी रफ्तार घटकर 5.8 फीसद रह गई। इससे पहले वित्त वर्ष 2017-18 की आखिरी तिमाही देश की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार 8.1 फीसद के उच्च स्तर पर रही थी। यहां से आर्थिक वृद्धि की रफ्तार लगातार हर तिमाही में उतार लिए रही। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के दौरान जीडीपी वृद्धि की रफ्तार घटकर 5 फीसद पर आ गई। इसके बाद सितंबर तिमाही में GDP वृद्धि की रफ्तार और धीमी होकर 4.5 फीसद रह गई। इस तरह देश की जीडीपी वृद्धि छह वर्ष से भी अधिक समय के निचले स्तर पर आ गई। Jaypee के मकान खरीदारों के लिए रहत भरी खबर, NBCC की बोली को कर्जदाताओं की मंजूरी Bharat Bond ETF Vs FD: सुरक्षा, रिटर्न और टैक्स छूट के अनुसार कहा करें निवेश अंतर्राष्ट्रीय मांग के चलते सोने के दाम में आया उछाल, चांदी में भी आई चमक