आखिर कैसे लाऐं अपनों को अंतिम समय में भारत, अंत्येष्टि पर आएगा 13 लाख का खर्च

नई दिल्ली : कहते हैं जब बुरा समय इन्सान पर आता है तो उसे कुछ नहीं सूझता। वह इस कदर टूट जाता है कि संभलना मुश्किल हो जाता है मगर मुश्किल के इस दौर में भी उम्मीद होती है और उसके प्रयास उसे मुश्किल से उबार लेते हैं। इन दिनों कुछ मुश्किल हालात न्यूयाॅर्क के एक भारतीय परिवार पर भी नज़र आ रहे हैं। दरअसल न्यूयाॅर्क में एक भारतीय चंदन गवई 38 वर्ष एक आईटी कंपनी में काम करते थे। वे 4 जुलाई को अपनी पत्नी, बेटे और माता - पिता के साथ गणतंत्र दिवस पर एक बीच पर आतिशबाजी देखने पहुंचे थे।

जब वे घर वापस पहुंचे तो उनकी कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस दुर्घटना में चंदन, उनके पिता कमलनयन और मां अर्चना की मृत्यु भी हो गई। 11 वर्ष के उनके पुत्र इबहान के हाथों में फ्रैक्चर हो गया तो वहीं उनकी पत्नी अभी कोमा में है। दुर्घटना के बाद चंदन के भाई स्वप्निल व आनंद न्यूयाॅर्क गए मगर उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वे अपने माता-पिता का शव लेकर भारत लौट सकते। इस मामले में स्वप्निल द्वारा कहा गया कि शव को भारत लाने हेतु 20000 यूएस डाॅलर अर्थात् 13 लाख रूपए का खर्च आएगा मगर इन लोगों के पास इतने रूपए नहीं है कि वे अपने पिता के शव को भारत ला सकें।

उनका कहना था कि यदि शव का न्यूयाॅर्क में अंतिम संस्कार कर दिया जाता है तो वहां पर 6 हजार यूएस डाॅलर अर्थात 4 लाख रूपए खर्च होंगे। दूसरी ओर उन्हें उनके भाई का शव भी नहीं मिल पाएगा। जब तक कि उनके भाई चंदन की पत्नी इस मामले में क्लेम नहीं करतीं मगर वे स्वयं ही दुर्घटनाग्रस्त हैं और कोमा में हैं। इस दुर्घटना में चंदन का 11 वर्षीय एक पुत्र जरूर बच गया है लेकिन उसके दोनों हाथों में भी फ्रैक्चर है।

अब इस परिवार में बड़ा भाई आनंद भारतीय दूतावास के चक्कर लगा रहा है। मगर वहां से उन्हें कोई सहायता नहीं मिली है। हालांकि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा है कि वे निजी तौर पर सारे मामले को देख रही हूं। न्यूयॉर्क की कांउंसलेट जनरल रेग्युलर मेरे कॉन्टैक्ट में हैं। वह फैमिली को मदद दिला रही है। दरअसल मूलरूप से चंदन गवई मुंबई के कल्याण में रहते थे।

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