अग्निपथ विरोधी 'आग' में रेलवे के 260 करोड़ खाक, बीते 4 साल में हुआ 1376 करोड़ का घाटा

नई दिल्ली: केंद्र सरकार जब से सैन्य भर्ती के लिए नई अग्निपथ योजना (Aginipath Scheme) लेकर आई है, तभी से विपक्ष ने ऐसा माहौल बनाया कि पूरे देश में इसके खिलाफ जमकर हिंसक प्रदर्शन हुए। इस योजना का सबसे अधिक विरोध बिहार में देखा गया। कई ट्रेनों को जला दिया गया। लाखों-करोड़ों की संपत्तियों को जलाकर राख कर दी गई। इस बीच शुक्रवार (22 जुलाई 2022) को केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में एक लिखित जबाव में जानकारी दी है कि अग्निपथ के विरोध प्रदर्शनों के दौरान रेलवे को 259.44 करोड़ रुपए का भारी नुकसान हुआ है।

वैष्णव के अनुसार, सिर्फ 14 से 22 जून तक रेलवे का संचालन ठप होने के चलते 102.96 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। जबकि, अग्निपथ योजना के विरोध के दौरान ही 260 करोड़ रुपए की सार्वजनिक संपत्तियों को जला डाला गया। वहीं, यदि बीते तीन वर्ष यानि के साल 2019 से अब तक की बात की जाए तो रेलवे को कुल 1376 करोड़ का भारी-भरकम नुकसान झेलना पड़ा है। इसमें 2019-20 में 151 करोड़ और 2020-21 (किसान आंदोलन) में 904 व 2021-22 में 62 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सदन में बताया है कि अग्निपथ विरोधों के दौरान पूरे देश में कुल 2132 ट्रेनों को रद्द करना पड़ा था, वो भी महज एक हफ्ते के अंदर। हिंसक विरोध प्रदर्शनों में 2 लोगों की मौत हो गई थी और 35 अन्य जख्मी हुए थे। जबकि 2642 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया गया था। सदन में एम आरिफ के सवाल का जबाव देते हुए अश्विनी वैश्णव ने कहा कि यात्री ट्रेनों से ही रेलवे को सर्वाधिक नुक्सान होता है। वो तो मालगाड़ियों ने रेलवे को बचाए रखा था, वरना सका भट्ठा बैठ जाता। उन्होंने ये स्पष्ट किया कि रेलवे, मुसाफिरों से कुल यात्रा लागत का सिर्फ आधा ही वसूल करता है। केंद्रीय मंत्री ने ये भी बताया कि कोरोना महामारी के चलते बीते दो वर्षों से रेलवे की कमाई 2019-20 की तुलना में कम रही है।

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