नई दिल्ली: बंगाल में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के बीच अब्बास सिद्दीक़ी भी सुर्ख़ियों में है. उन्होंने इंडियन सेक्युलर पार्टी (ISF) बना कर लेफ़्ट पार्टियों के साथ गठबंधन किया है. जिसके साथ मिल कर कांग्रेस ने संयुक्त मोर्चा का गठन किया है. किन्तु कांग्रेस के कई लोग सिद्दीक़ी को सांप्रदायिक मानते हैं. इस बात पर पार्टी के भीतर विवाद जारी है. अब्बास कहते हैं कि उनका समझौता लेफ़्ट से है, कांग्रेस से नहीं. उन्होंने कहा कि बेहतर होता सब मिल कर चुनाव लड़ते, किन्तु कांग्रेस में अहंकार है. गौरतलब है कि फुरफुरा शरीफ़ के पीरज़ादा अब्बास सिद्दीक़ी पर असदुद्दीन ओवैसी को धोखा देने के इल्जाम लग रहे हैं. ओवैसी ने जनवरी महीने में अब्बास से उनके आवास पर जाकर मुलाक़ात की थी. उन्होंने ये भी कहा था कि वे साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहते हैं. मगर अब्बास ने बंगाल में अलग मोर्चा बना लिया. उन्होंने कहा कि ओवैसी साहेब से काफी समय से मेरी बातचीत नहीं हुई. उनकी पार्टी के बंगाल के लोग इधर उधर की बात करते रहे तो मैं क्या करता ? किन्तु अब्बास ने कहा कि यदि ओवैसी साहेब ने यहां किसी को टिकट दिया तो हम वहां उम्मीदवार नहीं उतरेंगे. बंगाल के बाद यूपी के सवाल पर सिद्दीक़ी ने कहा कि क्यों नहीं ? वहां चुनाव है तो जरूर लडूंगा, लेकिन अभी तक किसी से बात नहीं हुई है . बता दें कि अब्बास सिद्दीक़ी की पार्टी इंडियन सेल्यूलर फ़्रंट (ISF) बंगाल में 37 सीटों पर उम्मीदवार उतार रही है. पहले नंदीग्राम की सीट ISF को मिली थी. किन्तु अब वहां से CPS की मीनाक्षी मुख़र्जी लड़ रही है. नंदीग्राम सीट से TMC से ममता बनर्जी चुनाव लड़ रही है. उनके ख़िलाफ़ भाजपा उम्मीदवार और उनके नजदीकी रहे शुभेंदु अधिकारी उम्मीदवार हैं. बता दें कि नंदीग्राम में लगभग 30 फीसद मुस्लिम वोटर हैं. यदि ISF का उम्मीदवार होता तो ममता के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लग सकती थी. ऐसे में लाभ भाजपा को होता. भ्रष्टाचार का अड्डा बन गई है बंगाल की भूमि, भतीजा एंड कंपनी खा गई पैसा- अमित शाह दक्षिण पश्चिम इंग्लैंड में विरोध प्रदर्शन हुआ हिंसक, बीस पुलिसकर्मी हुए घायल बॉर्डर पर जवानों और दिल्ली में किसानों की शहादत का जवाब दे सरकार - राहुल गांधी