पेरिस: फ्रांस में आज शुक्रवार (14 जुलाई) को हुई बैस्टिल डे परेड में भारत की पंजाब रेजीमेंट की भागीदारी से भारतीय समुदाय में जश्न का माहौल है। इस परेड के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी चीफ गेस्ट बने। भारतीय समुदाय के सदस्य सुरजीत सिंह ने इस संबंध में बात करते हुए भीगी आंखों से अपनी खुशी प्रकट की है। सुरजीत सिंह ने जानकारी दी है कि उन्होंने पंजाब रेजीमेंट में 30 सालों तक सेवाएं दी हैं, वह रेजीमेंट के जवानों से मिलने आए थे, मगर मिल नहीं पाए। सुरजीत सिंह ने कहा कि वह शुक्रवार (14 जुलाई) को परेड के बाद उनके साथ मुलाकात करेंगे। बता दें कि, पंजाब रेजीमेंट इंडियन आर्मी की दूसरी सबसे पुरानी रेजीमेंट हैं, जो अभी भी सेवा में है। इस रेजीमेंट ने दोनों विश्व युद्धों में लड़ाई लड़ी थी। बैस्टिल डे परेड में इंडियन आर्मी के तीनों अंगों की टुकड़ियों में से एयरफोर्स की 68 सदस्यीय टुकड़ी की अगुवाई स्क्वाड्रन लीडर सिंधू रेड्डी ने की। वह एयरफोर्स में हेलीकाप्टर पायलट हैं। परेड में अपनी भागेदारी के संबंध में उन्होंने बताया, 'हमारे लिए यह बेहद गौरव का पल है।' उन्होंने आगे कहा कि, 'मुझे कभी यह उम्मीद नहीं थी कि मैं विदेशी धरती पर एयरफोर्स का प्रतिनिधित्व करूंगी।' रेड्डी ने कहा कि वह फ्रांसीसी लोगों की प्रतिक्रिया देखकर उत्साहित हैं। जब उनसे सवाल किया गया कि वह क्या संदेश देना चाहती हैं, तो उन्होंने कहा कि, 'मैं साधारण सा संदेश देना चाहती हूं कि कुछ भी असंभव नहीं है।' रेड्डी ने गणतंत्र दिवस पर भी मार्चिंग टुकड़ी की अगुवाई की थी। बता दें कि इंडियन नेवी का स्वदेश में डिजायन एवं निर्मित गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रायर INS चेन्नई भी फ्रांस में है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि INS चेन्नई फ्रांस के शहर बस्ट में बैस्टिल डे परेड में शामिल हुआ। बता दें कि, फ्रांस में बैस्टिल दिवस को 'फेटे नेशनले फ्रांसेइस या राष्‍ट्रीय दिवस के रूप में भी जाना जाता है। 14 जुलाई सन् 1789 में हुई फ्रांसीसी क्रांति के दौरान इस दिन बैस्टिल के किले पर हमला किया गया था। इस दिन को उस हमले की याद के रूप में मनाया जाता है। इस साल मिलिट्री परेड में तीनों भारतीय सेनाओं की 269 जवानों वाली टुकड़ी फ्रांस की सेनाओं के साथ मार्च करते हुए नज़र आएगी। उल्लेखनीय है कि, भारत और फ्रांस की सेनाओं के बीच प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) से ही आपसी संपर्क बना हुआ है। इस युद्ध में लाखों भारतीय सैनिक शामिल हुए थे। इनमें से लगभग 74,000 भारतीय जवानों ने कीचड़ भरी खाइयों में जंग लड़ी थी। ये सैनिक फिर कभी वापस भारत नहीं लौटे। वहीं, 67,000 सैनिक जख्मी हो गए थे। भारत के जवान फ्रांस की धरती पर भी बेहद बहादुरी से लड़े थे। उनके साहस, वीरता और सर्वोच्च बलिदान से न सिर्फ दुश्मन को नाकाम कर दिया था, बल्कि उन्‍होंने युद्ध जीतने में भी अहम योगदान दिया था। इसके बाद दूसरे विश्व युद्ध (1939-1945) में 25 लाख से ज्यादा भारतीय जवानों ने एशिया से लेकर अफ्रीका और यूरोप तक युद्ध के विभिन्न क्षेत्रों में अहम योगदान दिया था। अंग्रेज़ों के लिए लड़े इन भारतीय जवानों ने इन युद्धों में अपनी बहादुरी के मानदंड स्थापित किए, जिसकेकारण भारतीय सैनिकों को अनेक वीरता पुरस्कारों के तौर पर अच्छी पहचान मिली। राजस्थान: ICU में भर्ती मरीज के मास्क में लगी आग तो भाग गया स्टाफ! हुई दर्दनाक मौत उड़ान को तैयार चंद्रयान-3, दोपहर 2:35 बजे होगी लॉन्चिंग, 40 दिन में तय करेगा 3.84 लाख किमी का सफर 'तेजस्वी-नितीश का ठगबंधन गुंडाराज और जातिवाद दे सकता है, रोज़गार नहीं..', लाठीचार्ज में विजय सिंह की मौत पर भड़की भाजपा