मिनी हिंदुस्तान के नाम से जाना जाता हैं यह देश, 37 फीसदी लोग हैं भारतीय

दुनिया के लगभग हर देश में, हर कोने में भारत के रहवासी रहते हैं. कुछ-कुछ देश तो ऐसे भी हैं जहां भारतीयों की आबादी बहुत ज्यादा है. ऐसे देशों को अगर हम 'मिनी हिंदुस्तान' कहें तो गलत साबित नहीं होगा. दक्षिण प्रशांत महासागर के मेलानेशिया में भी ऐसा ही एक द्वीपीय देश है, जहां की करीब 37 फीसदी आबादी भारतीय है और वो सैकड़ों साल से इस देश में रहते चले आ रहे हैं. यही कारण है कि यहां की राजभाषा में हिंदी भी शामिल है, जो अवधी के रूप में विकसित हुई है.  

आपको बता दें की इस देश का नाम है फिजी. यहां प्रचुर मात्रा में वन, खनिज और जलीय स्रोत हैं. यही वजह है कि फिजी को प्रशांत महासागर के द्वीपों मे सबसे उन्नत राष्ट्र माना जाता है. यहां विदेशी मुद्रा का सबसे बड़ा स्त्रोत पर्यटन और चीनी का निर्यात है. फिजी द्वीप समूह अपने द्वीपों की खूबसूरती की वजह से ही दुनियाभर में मशहूर है और इसी वजह से बड़ी संख्या में लोग यहां घूमने भी आते हैं.

दरअसल, ब्रिटेन ने वर्ष 1874 में इस द्वीप को अपने नियंत्रण में लेकर इसे अपना एक उपनिवेश बना लिया था. इसके बाद वो हजारों भारतीय मजदूरों को यहां पांच साल केअनुबंध (कॉन्ट्रैक्ट) पर गन्ने के खेतों में काम करने के लिए ले आए थे और उनके सामने ये शर्त रख दी थी कि पांच साल पूरा होने के बाद अगर वो जाना चाहें तो जा सकते हैं, लेकिन अपने खर्चों पर और अगर वो पांच साल और काम करते हैं तो उसके बाद उन्हें ब्रिटिश जहाज भारत पहुंचाएंगे. ऐसे में ज्यादातर मजदूरों ने काम करना ही उचित समझा था, लेकिन बाद में वो भारत लौट नहीं पाए और फिजी के ही होकर रह गए. हालांकि 1920 और 1930 के दशक में हजारों भारतीय स्वेच्छा से आकर भी यहां बस गए थे. फिजी द्वीपसमूह में कुल 322 द्वीप हैं, जिनमें से 106 द्वीप ही स्थायी रूप से बसे हुए हैं. यहां के दो प्रमुख द्वीप विती लेवु और वनुआ लेवु हैं, जिन पर इस देश की लगभग 87 फीसदी आबादी निवास करती है. फिजी के अधिकांश द्वीपों का निर्माण 15 करोड़ साल पहले ज्वालामुखीय विस्फोटों के कारण हुआ है. यहां अभी भी कई ऐसे द्वीप हैं, जहां अक्सर ज्वालामुखी विस्फोट होते रहते हैं.

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