नई दिल्ली: ISRO ने इतिहास रच दिया है। चंद्रयान-3 चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंड कर चुका है, जो भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। भारत चंद्रमा की दक्षिणी सतह पर आसानी से अंतरिक्ष यान उतारने वाला पहला देश बन गया है। 140 करोड़ लोगों की प्रार्थना और ISRO के साढ़े 16 हजार वैज्ञानिकों की 4 साल की कड़ी मेहनत और लगन आखिर रंग ले ही लाई और अब पूरी दुनिया ही नहीं चांद भी भारत की मुठ्ठी में है। अब ISRO ने चांद पर तिरंगा लहरा दिया है। अब बच्चे केवल चंदा मामा नहीं बुलाएंगे। चांद की तरफ देख कर अपने भविष्य के सपने को भी देखेंगे। करवा चौथ की छन्नी से भारतीय स्त्री केवल चांद को ही नहीं, बल्कि भारत की बुलंदी भी दिखेगी। Chandrayaan-3 ने चांद की दक्षिणी सतह पर अपने कदम रख दिए हैं। बीते चार वर्षों से ISRO के साढ़े 16 हजार वैज्ञानिक जो मेहनत कर रहे थे, वो पूरी हो चुकी है। भारत का नाम अब विश्व के उन 4 देशों में जुड़ गया है, जो सॉफ्ट लैंडिंग में एक्सपर्ट हैं। चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के पीछे वैज्ञानिकों की मेहनत के साथ ही लगभग 140 करोड़ लोगों की प्राथनाएं भी कबूल हो गई हैं। बता दें कि, दुनिया में अब तक चांद पर महज तीन देश सफलतापूर्वक उतर पाए थे। अमेरिका, रूस (तब सोवियत संघ) और चीन। लेकिन, ये भी दक्षिण ध्रुव पर नहीं उतरे थे। भारत के चंद्रयान-3 को सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता पाई है, तो भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन चुका है। वहीं, दक्षिणी ध्रुव के इलाके में लैंडिंग कराने वाला दुनिया का पहला देश बनकर इतिहास रच दिया है। पीमए मोदी ने ब्रिक्स सहयोग को मजबूत करने के लिए रखा ये प्रस्ताव चंद्रयान -3: जानिए क्या इसरो के मिशन मून का बजट APJ अब्दुल कलाम की एक सलाह से शुरू हुआ था भारत का मिशन मून, चंद्रयान-1 के समय ISRO कार्यालय पहुंचे थे राष्ट्रपति