East Asia Summit में भारत का दबदबा, पीएम मोदी को सबसे पहले संबोधन का निमंत्रण

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शुक्रवार (11 अक्टूबर) को 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS) में हिस्सा लिया और इसका संबोधन किया। सूत्रों के अनुसार, मौजूदा मेजबान और अगले सम्मेलन के मेजबान के बाद बोलने के लिए आमंत्रित किए जाने वाले वे पहले नेता बने। इस सम्मेलन में मौजूदा मेजबान और अगला मेजबान सबसे पहले संबोधन देता है, उसके बाद किसी को बोलने के लिए आमंत्रित किया जाता है, जिसमे पीएम मोदी को सबसे पहले आमंत्रित किया गया। इसे एक बड़ी कूटनीतिक उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है और यह आसियान देशों के बीच भारत के बढ़ते प्रभाव का संकेत माना जा रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी इस आयोजन में नौ बार भाग ले चुके हैं, जो किसी भी अन्य नेता से अधिक है। पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले देशों के राष्ट्राध्यक्षों और सरकार प्रमुखों की बैठक होती है, जो हर साल आयोजित की जाती है। इस शिखर सम्मेलन की शुरुआत 2005 में मलेशिया के कुआलालंपुर में हुई थी, और तब इसमें 16 देश शामिल थे। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत हमेशा से आसियान की एकता और केंद्रीयता का समर्थन करता रहा है। उन्होंने म्यांमार की स्थिति पर आसियान के दृष्टिकोण और Five-point Consensus का समर्थन करने की बात कही। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत, म्यांमार का पड़ोसी होने के नाते, अपनी जिम्मेदारी निभाना जारी रखेगा। 

प्रधानमंत्री ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में चल रहे संघर्षों पर चिंता व्यक्त की और कहा कि इनका सबसे अधिक असर वैश्विक दक्षिण (Global South) के देशों पर हो रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यूरेशिया और पश्चिम एशिया में जल्द से जल्द शांति और स्थिरता बहाल होनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने बुद्ध की धरती से आने का जिक्र करते हुए कहा कि यह युद्ध का युग नहीं है, और समस्याओं का समाधान बातचीत और कूटनीति से ही संभव है। उन्होंने यह भी कहा कि संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का सम्मान करते हुए संवाद को प्राथमिकता देनी चाहिए।

आतंकवाद पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। उन्होंने मानवता में विश्वास रखने वाली सभी ताकतों से एकजुट होकर इसका मुकाबला करने की अपील की। उन्होंने साइबर सुरक्षा, समुद्री सहयोग, और अंतरिक्ष के क्षेत्रों में आपसी सहयोग को भी बढ़ाने पर बल दिया।

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