नई दिल्ली: 14 नवंबर 1889 को जन्मे जवाहरलाल नेहरू, आज़ाद भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री थे और स्वतन्त्रता के पूर्व और पश्चात् की भारतीय राजनीति में केन्द्रीय व्यक्तित्व भी थे. महात्मा गांधी के संरक्षण में, वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के सर्वोच्च नेता के रूप में उभरे और उन्होंने 1947 में भारत के एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में स्थापना से लेकर 1964 तक अपने निधन तक, भारत के प्रधानमंत्री पड़ पर आसीन रहे. पत्नी अंजलि के जन्मदिन पर पाली गए थे मास्टर ब्लास्टर, वापिस मुंबई लौटे बहुत से लोगों का विचार है कि नेहरू ने अन्य नेताओं की तुलना में भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में बहुत कम योगदान दिया था फिर भी गांधीजी ने उन्हे भारत का प्रथम प्रधानमन्त्री बना दिया. स्वतंत्रता के बाद कई दशकों तक भारतीय लोकतंत्र में सत्ता के सूत्रधारों ने प्रकारान्तर से देश में राजतंत्र चलाया, विचारधारा के स्थान पर व्यक्ति पूजा को प्रतिष्ठित किया और तथाकथित लोकप्रियता के प्रभामंडल से आवेष्टित रह लोकहित की पूर्णत: उपेक्षा की, लेकिन गाँधी ने कभी इन आरोपों को स्वीकार नाह९ी किया. सिख समुदाय ने प्रकाशोत्सव पर निकाली भव्य प्रभातफेरी, लंगर और अखंड कीर्तन का भी किया आयोजन राजनितिक जीवन के अलावा नेहरू जी निःसंदेह एक उत्तम लेखक भी थे, राजनीतिक क्षेत्र में लोकमान्य तिलक के बाद जम कर लिखने वाले नेताओं में वे अलग से पहचाने जाते हैं. दोनों के क्षेत्र अलग हैं, परंतु दोनों के लेखन में सुसंबद्धता पर्याप्त मात्रा में विद्यमान है, नेहरू जी स्वभाव से ही स्वाध्यायी थे, उन्होंने महान् ग्रंथों का अध्ययन किया था. सभी राजनैतिक उत्तेजनाओं के बावजूद वे स्वाध्याय के लिए रोज ही समय निकाल लिया करते थे, इसके चलते ही उन्होंने 'भारत एक खोज' जैसी महान पुस्तक लिखी थी. खबरें और भी:- नेशनल एजुकेशन डे : जानिए उस सख्स को जिसके सम्मान में मनाया जाता है राष्ट्रीय शिक्षा दिवस नेशनल एजुकेशन डे : मौलाना अब्दुल कलाम की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है यह पर्व टीपू सुल्तान जयंती को लेकर कर्नाटक में घमासान, भाजपा ने किया विरोध प्रदर्शन