भारत की ईंधन डिमांड में रेटिंग एजेंसी फिच सॉल्यूशंस ने गिरावट का अंदाजा व्यक्त किया है। फिच सॉल्यूशंस का अंदाजा है कि वर्ष 2020 में देश की ईंधन डिमांड में 11.5 फीसद की गिरावट रह सकती है। ईंधन डिमांड में कमी का अंदाजा निश्चित तौर पर देश की इकोनॉमिक्स के लिए एक अच्छा हिंट नहीं है। फिच ने देश के आर्थिक परिदृश्य के कमजोर होने के मध्य देश की ईंधन डिमांड में गिरावट के अपने अंदाजे को बढ़ाया है। वही रेटिंग एजेंसी के अर्थशास्त्रियों ने मौजूदा वित्त साल अर्थात 2020-21 में भारत की रियल जीडीपी (वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद) में 8.6 फीसद की मंदी का अंदाजा व्यक्त किया है। इससे पूर्व उन्होंने भारत की जीडीपी में 4.5 फीसद की मंदी का अंदाजा व्यक्त किया था। वही शनिवार को रेटिंग एजेंसी ने एक बयान जारी किया है। इसके मुताबिक भारत की ईंधन डिमांड व्यापक तौर पर प्रभावित हुई है तथा औद्योगिक एवं यूजर्स दोनों ईंधन डिमांड में कमी आई है। इससे पूर्व रेटिंग एजेंसी ने इस वर्ष भारत की ईंधन डिमांड में 9.4 फीसद की कमी रहने का अनुमान व्यक्त किया था, किन्तु देश के आर्थिक परिदृश्य के कमजोर होने के पश्चात् फिच ने इस अंदाजे को बढ़ा दिया है। फिच सॉल्यूशन के मुताबिक, 2021 एवं 2022 में इंडियन इकोनॉमिक्स के पांच फीसद की दर से ग्रोथ करने का अंदाजा है। एजेंसी के मुताबिक, महामारी को नियंत्रित किये जाने के पश्चात् आर्थिक गतिविधियों में रफ़्तार आएगी। गौरतलब है कि मौजूदा वित्त वर्ष की प्रथम तिमाही में देश की जीडीपी में 23.9 फीसद की मंदी दर्ज की गई है। इस दौरान COVID-19 वायरस महामारी को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से औद्योगिक गतिविधियों को बुरी प्रकार प्रभावित रहने से यह मंदी देखने को मिली। इसी के साथ इस वर्ष बहुत बदलाव देखने को मिला है। सरकार की बाहरी देनदारी पहुंची 558 अरब डॉलर के पार सेबी ने मल्टीकैप फंड को लेकर लागू किए नए नियम पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों में क्या हुआ बदलाव, यहां जानें आज के भाव