नई दिल्ली: भारतीय महिला अंडर-19 क्रिकेट टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 2024 अंडर-19 वूमेन्स एशिया कप का खिताब अपने नाम कर लिया है। रविवार, 22 दिसंबर को कुआलालम्पुर के बयूमास ओवल में खेले गए फाइनल मुकाबले में भारत ने बांग्लादेश को 41 रनों से हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। यह टूर्नामेंट पहली बार आयोजित किया गया था, जिसमें भारत ने खिताब जीतकर इतिहास रच दिया। फाइनल में टॉस हारने के बाद पहले बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम ने 7 विकेट खोकर 117 रन बनाए। भारत की ओर से ओपनर गोंगाडी त्रिशा ने 47 गेंदों में 52 रनों की अहम पारी खेली। उनके अलावा मिथिला विनोद ने 17, कप्तान निकी प्रसाद ने 12 और आयुषी शुक्ला ने 10 रन का योगदान दिया। बांग्लादेश की गेंदबाजों ने भी अच्छा प्रदर्शन किया। फरजाना इस्मिन ने 4 विकेट लेकर भारत की बल्लेबाजी को रोकने की कोशिश की, जबकि निशिता अक्तेर निशी ने 2 और हबीबा इस्लाम ने 1 विकेट लिया। हालांकि, भारतीय बल्लेबाजों ने संयम और आत्मविश्वास के साथ रन जोड़े, जिससे टीम एक चुनौतीपूर्ण स्कोर खड़ा करने में सफल रही। लक्ष्य का पीछा करने उतरी बांग्लादेश की टीम भारतीय गेंदबाजों के सामने टिक नहीं पाई और 18.3 ओवरों में 76 रन पर ही सिमट गई। बांग्लादेश की ओर से विकेटकीपर जुएरिया फिरदौस ने सबसे ज्यादा 22 रन बनाए, जबकि ओपनर फहोमिदा चोया ने 18 रनों का योगदान दिया। इनके अलावा बाकी बल्लेबाज दोहरे अंक तक नहीं पहुंच सके। भारतीय गेंदबाजों ने कमाल का प्रदर्शन किया। बाएं हाथ की स्पिनर आयुषी शुक्ला ने 3 विकेट लेकर बांग्लादेश की बल्लेबाजी की कमर तोड़ दी। सोनम यादव और परुणिका सिसोदिया ने 2-2 विकेट झटके, जबकि वीजे जोशिथा ने 1 विकेट लिया। भारत की टीम: गोंगाडी तृषा, कमलिनी (विकेटकीपर), सानिका चालके, निकी प्रसाद (कप्तान), ईश्वरी अवसरे, मिथिला विनोद, आयुषी शुक्ला, वीजे जोशिथा, शबनम शकील, सोनम यादव, परुणिका सिसौदिया। बांग्लादेश की टीम: फहोमिदा चोया, मोसम्मात ईवा, सुमैया अख्थेर, जुएरिया फिरदौस (विकेटकीपर), सुमैया अक्तेर (कप्तान), सादिया अख्तर, जन्नतुल मौआ, हबीबा इस्लाम, फरजाना इस्मिन, निशिता अक्तेर निशी, अनीसा अक्तेर सोबा। भारत की इस जीत ने न केवल टीम का मनोबल ऊंचा किया है, बल्कि देश के क्रिकेट इतिहास में एक और उपलब्धि जोड़ दी है। पहली बार आयोजित इस टूर्नामेंट में भारत ने ट्रॉफी जीतकर यह साबित कर दिया कि भारतीय महिला क्रिकेट टीम भविष्य में और भी बड़ी उपलब्धियां हासिल करने की क्षमता रखती है। भारतीय कप्तान निकी प्रसाद ने मैच के बाद कहा कि टीम ने पूरे टूर्नामेंट में कड़ी मेहनत की थी और फाइनल में जीत दर्ज करना उनके लिए गर्व का क्षण है। भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए यह जीत एक यादगार पल बन गई है। डी गुकेश: शतरंज के नए युवा बादशाह, 18 साल की उम्र में बने वर्ल्ड चैंपियन कांबली की मदद के लिए आगे आई 1983 की वर्ल्ड चैंपियन टीम, लेकिन एक शर्त.. एडिलेड में ताश के पत्तों की तरह बिखरी टीम इंडिया, ऑस्ट्रेलिया ने बराबर किया हिसाब