कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एक साथ खड़े हुए ये दो देश

वाशिंगटन: आज के समय में बीमारी हो या कोई आपदा दोनों ही मानव जीवन पर संकट बन ही जाती है. जिसमे से एक है कोरोना वायरस यह एक ऐसी बीमारी है, जिसका अभी तक कोई तोड़ नहीं मिल पाया है. वहीं इस वायरस की चपेट में आने से 2,28,000 से अधिक मौते हो चुकी है, जबकि लाखों लोग इस वायरस से संक्रमित हुए है. ऐसे में वैज्ञानिकों के लिए यह कहना जरा मुश्किल सा है कि इस बीमारी से कब तक निजात मिल पाएगा. वहीं इस वायरस से निपटने के लिए भारत और अमेरिका एक साथ आ गए हैं. बुधवार को अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा कि ट्रंप प्रशासन भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ देशों के साथ मिलकर जानकारी को साझा करने के लिए काम कर रहा है.

पोम्पिओ ने कहा कि वह उस काम पर विशेष रूप से गर्व करते हैं जो अमेरिका ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में किया है. अमेरिकी विदेश मंत्री ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि प्रशांत द्वीप देशों में कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए संयुक्त राज्य सरकार ने 3.2 करोड़ डॉलर से अधिक की धनराशि प्रदान की है और हम हम बर्मा में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए बर्मी सरकार, संयुक्त राष्ट्र, गैर सरकारी संगठनों और अन्य लोगों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.

पोम्पेओ ने कहा कि हम भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान, न्यूजीलैंड, कोरिया गणराज्य और वियतनाम में अपने दोस्तों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. ताकि सटीक जानकारी को साझा किया जा सके और वैश्विक अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू की जा सके. उन्होंने कोरोना वायरस के रोगियों के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली महत्वपूर्ण चिकित्सा आपूर्ति पर निर्यात प्रतिबंध हटाने के लिए भारत की सराहना की. पोम्पेओ ने कहा कि हम महामारी को रोकने के लिए भारत के साथ काम कर रहे हैं. इसके परिणामस्वरूप भारत ने रोना वायरस के रोगियों के उपचार के लिए इस्तेमाल की जाने वाली महत्वपूर्ण दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन पर से निर्यात प्रतिबंध हटा लिया है.

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